हाई टेंशन तार के नीचे झूल रही हॉस्पिटल में मरीज़ व कर्मचारियों की जिंदगी; प्रशासन मौन, अब तक नहीं पड़ी किसी की नज़र

लखनऊ में इस वक्त प्रशासन और अस्पताल की भारी लापरवाही देखने को मिल रही है, जहां मरीजों और कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में है। पूरी खबर के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 21 May 2025, 11:25 AM IST
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लखनऊः जहां आए दिन प्रचंड गर्मी में कभी शॉर्ट सर्किट से तो कभी सिलिंडर फटने से हादसे होते है और अभी हाल ही में मोहन होटल में आग की लपटों से सब कुछ जल कर राख हुआ था। वही दूसरी ओर लखनऊ के प्रतिष्ठित निजी अस्पताल विद्या हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर ने सुरक्षा के मानक तोड़कर सैंकड़ों मरीज़ व कर्मचारी जान जोखिम में डाल कर रखी हुई है। सालों से चल रहे इस मानकविहीन निजी अस्पताल पर अब तक किसी की नज़र नहीं पड़ी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अस्पताल के ऊपर से एक या दो नहीं पूरी बिजली की तारों का गुच्छा गुजर रहा है, जिसमें कई मरीजों और कर्मचारियों की जिंदगी टिकी हुई है। अस्पताल की तस्वीर में साफ- साफ नजर आ रहा है कि इसके होने से कभी ना कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन प्रशासन मौन बैठा हुआ है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रशासन इसको लेकर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में आइए जानते एक अस्पताल के लिए सुरक्षा के क्या मानक होते हैं, जो इस अस्पताल में देखने को नहीं मिल रहा है।

1. क्लिनिकल प्रथिस्थान अधिनियम 2010 के तहत पंजीकरण
2. चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंध लाइसेंस
3. अग्नि सुरक्षा प्रमाण पत्र और मंजूरी
4. डायोग्नोइस्टिक सेवा लाइसेंस
5. सर्जिकल लाइसेंस और फार्मेसी लाइसेंस इत्यादि

अब सवाल यह उठता है कि वो कौन जिम्मेदार लोग है जिन्होंने अस्पताल निर्माण करने की अनुमति दी है और कैसे अग्नि सुरक्षा की अनुमति मिल गई। ऐसा कहा जा रहा है कि अस्पताल के पास हाई टेंशन तार होने पर निर्माण कराने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। हाई टेंशन तारों के पास निर्माण कराने से पहले विद्युत विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेना आवश्यक होता है।

अनुमति के लिए आवश्यक दस्तावेज़
1. निर्माण योजना और डिज़ाइन
2. विद्युत सुरक्षा विशेषज्ञ की रिपोर्ट
3. सुरक्षा उपायों की जानकारी
4. विद्युत विभाग की अनुमति

अनुमति की प्रक्रिया
1. निर्माण योजना और डिज़ाइन तैयार करना
2. विद्युत सुरक्षा विशेषज्ञ से परामर्श लेना
3. विद्युत विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेना
4. सुरक्षा उपायों को लागू करना

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसने मरीजों की जान जोखिम में डालने की अनुमति दी। जिसका जवाब किसी के पास नहीं है।

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