

रायबरेली में उस वक्त हड़कंप मच गया जब पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर स्वागत के दौरान हमला हो गया। तमाचा मारने की कोशिश करने वाले शख्स को कार्यकर्ताओं ने लहूलुहान कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में ले लिया है।
Raebareli News: राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर आज रायबरेली के सारस चौक में हमला हुआ। यह घटना उस समय हुई जब वे फतेहपुर में एक कार्यक्रम के लिए रवाना होने की तैयारी में थे। तभी रायबरेली में उनका काफिला कुछ समय के लिए रोका गया और स्वागत समारोह शुरू हुआ।
डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही स्वामी प्रसाद मौर्य को माला पहनाई जा रही थी, भीड़ में उपस्थित एक युवक ने अचानक मौर्य के सिर पर तमाचा मारने का प्रयास किया। लेकिन सुरक्षा बलों और कार्यकर्ताओं ने तत्परता दिखाते हुए उस युवक और उसके साथी को धर दबोचा।
जैसे ही युवक के प्रयास असफल रहे, नाराज कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मौजूदगी में उन दोनों आरोपियों की जमकर पिटाई की। आरोपियों के कपड़े फाड़ दिए गए और एक व्यक्ति बुरी तरह घायल हो गया। घटना स्थल पर मौजूद एक इंस्पेक्टर अजय राय की वर्दी पर भी खून के छींटे लग गए।
रायबरेली CO सदर अमित सिंह ने बताया कि यह घटना अचानक हुई, कार्यकर्ताओं की भीड़ में शामिल इन दोनों लोगों ने अभद्रता करने का प्रयास किया। पुलिस ने तत्काल हस्तक्षेप कर दोनों आरोपियों को हिरासत में लिया। उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस वाहन में बैठाया गया।
धार्मिक मतभेदों का हवाला देते हुए गिरफ्तार युवक रोहित द्विवेदी (दिह का निवासी) ने कहा कि वह करणी सेना का कार्यकर्ता है और स्वामी प्रसाद मौर्य ने सनातन धर्म, देवी-देवताओं व राम का अपमान किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मौर्य ब्राह्मणवाद को गाली देते हैं, इसलिए उन्होंने विरोध किया।
हालांकि, करणी सेना के जिला अध्यक्ष मोनू भदौरिया ने तुरंत यह स्पष्ट किया कि रोहित द्विवेदी और शिवम यादव जैसी हिंसक घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति संगठन से नहीं हैं। “हिंसा हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है; हमने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज़ उठाया है, जो हमने अभी भी जारी रखा हुआ है,” उन्होंने कहा।
यह घटना रायबरेली में राजनीतिक सुरक्षा, धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समीकरणों को एक नए तनाव की ओर धकेल सकती है। मौर्य एक केंद्रीय राजनेता और सामाजिक न्याय एवं दलित संगठनों के चेहरे रहे हैं। हमला उस समय हुआ जब वे जन अभियान का हिस्सा थे, जिससे राजनीतिक हलचले तेज हो सकती हैं। पुलिस की सक्रियता, कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया, और धर्म से जुड़े आरोप, इन सब ने घटना को संवेदनशील बना दिया है।