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भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में 22 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर विशाल किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इसमें राकेश टिकैत शामिल होंगे। किसान अतिरिक्त मुआवजा, आवासीय भूखंड, सर्विस रोड और रोजगार जैसी मांगों को लेकर सरकार और प्राधिकरणों पर दबाव बनाएंगे।
Rakesh Tikait
Greater Noida: भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेतृत्व में 22 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर एक बड़ी किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। इस महापंचायत में बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की मौजूदगी तय है। संगठन ने इसे किसानों के अधिकारों की निर्णायक लड़ाई करार दिया है।
तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे बीकेयू कार्यकर्ता
महापंचायत की तैयारियों को लेकर रविवार को बीकेयू के कार्यकर्ता और पदाधिकारी यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर पहुंचे। उन्होंने आयोजन स्थल का निरीक्षण किया और व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की। बीकेयू नेताओं का कहना है कि बड़ी संख्या में किसान इस महापंचायत में शामिल होंगे।
वर्षों से अधिकारों के लिए संघर्षरत किसान
बीकेयू के जिलाध्यक्ष रॉबिन नागर ने बताया कि क्षेत्र के किसान पिछले कई वर्षों से तीनों प्राधिकरणों के खिलाफ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसानों का आरोप है कि विकास के नाम पर उनकी उपजाऊ और पुश्तैनी जमीनें बेहद कम दामों पर अधिग्रहित कर ली गईं, लेकिन बदले में उन्हें आज तक बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई।
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प्राधिकरणों पर गंभीर आरोप
रॉबिन नागर ने कहा कि यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) और संबंधित जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण किसानों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि कई बार धरना-प्रदर्शन, महापंचायत और प्रशासनिक वार्ताएं हुईं, लेकिन नतीजा शून्य रहा।
समस्याएं जस की तस, आंदोलन तेज
बीकेयू नेताओं का कहना है कि किसानों की मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। भूमि अधिग्रहण के बाद न तो उचित मुआवजा मिला और न ही रोजगार या पुनर्वास की ठोस व्यवस्था की गई। इसी वजह से संगठन ने अब एक बार फिर बड़े आंदोलन का रास्ता चुना है।
शासन-प्रशासन पर डाली जिम्मेदारी
बीकेयू ने साफ कहा है कि 22 दिसंबर को होने वाली किसान महापंचायत की पूरी जिम्मेदारी शासन, प्रशासन और संबंधित प्राधिकरणों की होगी। संगठन का कहना है कि यदि किसी तरह की अव्यवस्था या तनाव की स्थिति बनती है तो इसके लिए प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होगा।
किसानों की प्रमुख मांगें सामने
किसान महापंचायत में कई अहम मांगों को प्रमुखता से उठाया जाएगा। इनमें गौतम बुद्ध नगर से लेकर अलीगढ़, हाथरस, आगरा और मथुरा तक यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि वाले सभी किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा और 10 प्रतिशत आवासीय भूखंड देने की मांग शामिल है।
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सर्विस रोड और विस्थापन नीति पर जोर
किसानों की मांग है कि यमुना एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण शीघ्र कराया जाए, ताकि स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा मिल सके। इसके साथ ही जेवर में निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्रभावित किसानों के लिए विस्थापन नीति में संशोधन कर वर्ष 2023 के मानकों के अनुसार मुआवजा दिया जाए।
रोजगार को लेकर भी उठे सवाल
बीकेयू ने मांग की है कि प्रभावित सभी जनपदों में स्थानीय किसानों और उनके परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए। विशेष रूप से जेवर एयरपोर्ट से प्रभावित किसानों के बच्चों को एयरपोर्ट परियोजना में रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की गई है।
अन्य लंबित मांगें भी होंगी शामिल
संगठन ने बताया कि इन मांगों के अलावा किसानों से जुड़ी कई अन्य समस्याएं भी हैं, जिन्हें महापंचायत के माध्यम से सरकार के सामने मजबूती से रखा जाएगा। बीकेयू का कहना है कि यदि इस बार भी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।