अजीत भारती की गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया पर छिड़ा बवाल, अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल; जानें क्या है मामला

अजीत भारती को नोएडा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गवई पर भड़काऊ टिप्पणी करने के आरोप में हिरासत में लिया। सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना जा रहा। पुलिस मामले की डिजिटल फॉरेंसिक जांच कर रही है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 7 October 2025, 5:54 PM IST
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Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में सोमवार को प्रसिद्ध यूट्यूबर और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर अजीत भारती को पुलिस ने हिरासत में लिया। यह कार्रवाई उनके हालिया वीडियो के संदर्भ में की गई, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी की थी। अजीत भारती ने इस वीडियो में न्यायपालिका के खिलाफ लोगों को भड़काने वाली बातें की थीं। इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर एक तूफान खड़ा हो गया, जिसमें लोगों ने अभिव्यक्ति की आजादी और पुलिस कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए।

कैसे हुई पुलिस कार्रवाई?

सोमवार दोपहर को नोएडा पुलिस ने अजीत भारती को सेक्टर-58 थाना में पूछताछ के लिए बुलाया। प्रारंभिक पूछताछ के बाद उन्हें डीसीपी ऑफिस ले जाया गया। पुलिस का कहना है कि उन्हें शुरू में केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन बाद में मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें उच्च अधिकारियों के सामने पेश किया गया। हालांकि, देर शाम तक यह साफ नहीं हो पाया कि उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया है या अभी वह केवल हिरासत में हैं।

Ajit Bharti

नोएडा पुलिस ने अजीत भारती को किया गिरफ्तारी

क्या है वीडियो का विवाद?

यह मामला उस घटना से जुड़ा है, जब एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की थी। इस घटना के बाद अजीत भारती ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने इस घटना को लेकर टिप्पणी की थी। पुलिस का आरोप है कि वीडियो में कही गई बातें न्यायपालिका के प्रति हिंसा और असंतोष फैलाने का कारण बन सकती हैं।

अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल

अजीत भारती की हिरासत के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने #ReleaseAjeetBharti ट्रेंड करना शुरू कर दिया। कई लोग इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला मान रहे हैं। इस मामले में मीडिया, पत्रकारों और नागरिक अधिकारों के समर्थकों ने सवाल उठाया कि क्या एक यूट्यूबर की राय रखना अपराध हो सकता है। दूसरी ओर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं है कि किसी संवैधानिक संस्था या पद के प्रति नफरत फैलाने की छूट दी जाए।

पुलिस की डिजिटल फॉरेंसिक जांच

नोएडा पुलिस ने इस वीडियो की डिजिटल फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उसमें कही गई बातें किसी समुदाय, संस्था या संवैधानिक पद के खिलाफ नफरत फैलाने के दायरे में आती हैं या नहीं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वीडियो की तकनीकी जांच रिपोर्ट और कानूनी सलाह के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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  • Noida

Published : 
  • 7 October 2025, 5:54 PM IST