

अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के नाम से जाना जाता है। अयोध्या आने वाला हर यात्री सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि रामायण युग की आत्मा से जुड़ाव महसूस करते है। मगर ऐसे में सवाल ये है कि इस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा का नाम महर्षि वाल्मीकि क्यों पड़ा।
महर्षि वाल्मीकि
New Delhi: अयोध्या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी और अब इस पवित्र नगरी में बना एयरपोर्ट भी ऐतिहासिक पहचान से जुड़ गया है। अयोध्या का अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अब महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के नाम से जाना जाता है लेकिन सवाल ये है- आखिर महर्षि वाल्मीकि का नाम ही क्यों?
दरअसल, महर्षि वाल्मीकि न केवल रामायण के रचयिता थे, बल्कि ये वो संत थे जिन्होंने श्रीराम की लीला को शब्दों में अमर कर दिया। उनके द्वारा लिखी गई रामायण ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में श्रीराम के आदर्शों और मर्यादा की भावना को फैलाया।
जानकारी के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि अयोध्या आने वाला हर यात्री सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि रामायण युग की आत्मा से भी जुड़ाव महसूस करता है और इसीलिए एयरपोर्ट का नाम वाल्मीकि जी के नाम पर रखा गया। रामचरितमानस के बाद सबसे ज्यादा वाल्मीकी जी की ही रामायण पढ़ी जाती है।
महर्षि वाल्मीकि का जीवन क्रूरता पर दृढ़ इच्छाशक्ति और मानवता की विजय का प्रतीक है। वे अद्वितीय विद्वत्ता के धनी ऋषि और करुणामयी कवि थे, जिनका भारतीय समाज में आदरणीय स्थान है। जानकारी के मुताबिक, महर्षि वाल्मीकि का जन्म और जीवन की बात करें तो वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन ब्रह्मा के पुत्र प्रचेता की कुटिया में हुआ था।
अयोध्या में देश ही नहीं ब्लकि विदेश के लोग भी आते है, इसलिए कहा जाता है कि अयोध्या लोगों के धार्मिक भावों से भरा है। यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु रोज दर्शन के लिए आते हैं। खासतौर पर, अयोध्या में बने राम मंदिर के दर्शन के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु आते हैं। रामनगरी अयोध्या मर्यादा और संस्कारों की धरती कही जाती है इसलिए आज भी वहां के कण-कण में राम बसते हैं।