NDA से टूटने की कगार पर निषाद पार्टी? सपा बोली- 2027 में बदल जाएगा समीकरण; जानिए सबकुछ

यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद ने एनडीए गठबंधन को लेकर जताई नाराजगी। जिसके बाद सपा ने भाजपा पर हमला बोला है, क्या 2027 विधानसभा चुनाव से पहले सहयोगी दलों की नाराजगी भाजपा के लिए खतरे की घंटी है? पढ़ें पूरी खबर

Updated : 27 August 2025, 12:22 PM IST
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Lucknow: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों फिर से हलचल तेज हो गई है। राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री और बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने एनडीए गठबंधन पर सवाल खड़े किए हैं। गोरखपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर भाजपा को लगता है कि निषाद पार्टी से कोई लाभ नहीं हो रहा है, तो गठबंधन तोड़ा जा सकता है। इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी ने भी मौका ताड़ते हुए संजय निषाद पर तंज कसते हुए 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा दावा कर दिया।

संजय निषाद की नाराजगी पर सपा का पलटवार

संजय निषाद ने भाजपा पर परोक्ष रूप से नाराजगी जताते हुए कहा कि भाजपा को अपने सहयोगी दलों- निषाद पार्टी, रालोद, और सुभासपा- पर भरोसा दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को इन सहयोगियों से लाभ नहीं दिखता, तो उसे कठोर फैसले लेने चाहिए। साथ ही उन्होंने भाजपा को चेतावनी दी कि सपा-बसपा से आए बाहरी नेता एनडीए में शामिल होकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी को कुछ खास नहीं मिला, अब 2027 में क्या होता है यह देखने वाली बात होगी।

Samajwadi Party

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

संजय निषाद के इस बयान पर सपा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जैसे-जैसे 2027 का चुनाव करीब आ रहा है, वैसे-वैसे एनडीए में शामिल पिछड़ी जातियों के नाम पर राजनीति करने वाले दलों की असली सोच सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2026 तक आचार संहिता लग जाएगी, और उससे पहले कई सहयोगी दल भाजपा से नाराज हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछड़ों को उनका हक नहीं देने वाली भाजपा से अब ये दल भी दूरी बना लेंगे।

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पिछड़ों को अब मिलेगा उनका हक- सपा 

उन्होंने इसे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की ताकत बताया और कहा कि यह गठबंधन आने वाले चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाएगा। सपा का दावा है कि भाजपा केवल सत्ता के लोभ में सहयोगी दलों का उपयोग कर रही है, लेकिन अब सहयोगी दल भी समझ गए हैं कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में संजय निषाद का यह बयान 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए के लिए खतरे की घंटी बन सकता है। जहां एक ओर सपा इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा के लिए अपने सहयोगियों को संतुष्ट रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 27 August 2025, 12:22 PM IST