

5 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला। लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में ध्वजारोहण के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि देशभक्ति केवल वाणी से नहीं, मन से भी होनी चाहिए।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव (सोर्स गूगल)
Lucknow: 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला। लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में ध्वजारोहण के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि देशभक्ति केवल वाणी से नहीं, मन से भी होनी चाहिए।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "हम ‘दीदी ड्रोन’ बनाकर युद्ध नहीं जीत सकते। हमारी सीमाएं सुरक्षित होनी चाहिए, सेना मजबूत होनी चाहिए, और अग्निवीर योजना जैसी अस्थायी सैन्य भर्तियों को बंद किया जाना चाहिए।"
अखिलेश यादव ने कहा कि 15 अगस्त जैसे दिन पर बीजेपी नेताओं को राजनीतिक भाषणबाज़ी और झूठे दावे करने से बचना चाहिए। उन्होंने केंद्र पर व्यापारिक असंतुलन, चीनी उत्पादों की भरमार, और सरकारी संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया।
उन्होंने कहा कि आज चीन न केवल हमारी ज़मीन पर नज़र गड़ाए बैठा है, बल्कि हमारे बाज़ार पर भी पूरी तरह हावी हो चुका है। भदोही जैसे पारंपरिक उद्योग वाले जिले अब व्यापारिक संकट से जूझ रहे हैं। “जो केवल बोलचाल में स्वदेशी हैं, वे मन से भी स्वदेशी बनें। वरना चीन जैसे देश हमारे उद्योग और रोजगार निगल जाएंगे,” उन्होंने कहा।
सपा प्रमुख ने जीएसटी, ईडी, सीबीआई और आयकर जैसी संस्थाओं को व्यापारियों के लिए डर का पर्याय बताते हुए कहा कि इनकी कार्यप्रणाली व्यापार को बढ़ावा देने के बजाय खत्म करने जैसी है।
परमाणु हथियारों पर टिप्पणी करते हुए यादव ने कहा कि “द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने समझ लिया कि परमाणु युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। हमें परमाणु से डरने की ज़रूरत नहीं, बल्कि एक मज़बूत और स्थायी सेना की ज़रूरत है। समाजवादी विचारधारा हमेशा युद्ध विरोधी रही है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि "देश की सुरक्षा हथियारों से नहीं, आत्मबल और रणनीतिक सोच से होती है। अग्निवीर जैसी तात्कालिक और संवेदनहीन योजनाएं सेना की ताकत को कमजोर करती हैं। हमें ऐसी योजनाओं को खत्म कर सेना को स्थायित्व देना होगा।"
अखिलेश यादव की इन टिप्पणियों ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राजनीति को फिर गर्मा दिया है, जहां उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, स्वदेशी भावना और सत्ता के रवैये पर सवाल उठाए हैं।