

कथावाचक मुकुट मणि के साथ हुई सिर मुंडवाने की घटना पर महामंडलेश्वर शिवम् जी महाराज ने प्रतिक्रिया दी है। जिसमें उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की गरिमा भी आहत हुई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
औरैया पहुंचे महामंडलेश्वर शिवम् जी महाराज
औरैया: जिले में पहुंचे अंतरराष्ट्रीय सप्त ऋषि अखाड़ा के महामंडलेश्वर शिवम् जी महाराज ने हाल ही में इटावा और औरैया जिले में कथावाचक मुकुट मणि के साथ हुई सिर मुंडवाने की घटना पर गंभीर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह पूरी घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, शिवम् जी महाराज ने कहा कि इससे न केवल व्यक्तिगत सम्मान को ठेस पहुंची है, बल्कि सनातन धर्म की गरिमा भी आहत हुई है।
पीड़ित ने पहचान छुपा कर किया कथावाचन
प्रेस वार्ता के दौरान महामंडलेश्वर शिवम् जी महाराज ने कहा कि कथावाचक मुकुट मणि द्वारा अपनी पहचान छुपाकर धार्मिक मंच पर बैठना एक गंभीर भूल थी। उन्होंने इसे एक प्रकार का धार्मिक छल बताया, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि किसी की गलती का बदला इस तरह अपमानित कर लेना भी धार्मिक मर्यादाओं के खिलाफ है।
व्यास पीठ पर किसी विशेष जाति का होना आवश्यक नहीं
महामंडलेश्वर ने स्पष्ट रूप से कहा कि व्यास पीठ पर बैठने के लिए किसी भी विशेष जाति का होना अनिवार्य नहीं है। धर्म और कर्म के आधार पर जो योग्य है, वह व्यास पीठ पर बैठ सकता है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म सभी को समान अवसर देता है और धर्म के प्रचार-प्रसार में कोई जातिगत रुकावट नहीं होनी चाहिए।
कथावाचन करना सबका अधिकार
शिवम् जी महाराज ने कहा कि धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या और कथा वाचन केवल किसी वर्ग विशेष का अधिकार नहीं है। जो भी व्यक्ति श्रद्धा, ज्ञान और साधना से समर्पित है, वह धर्म प्रचार कर सकता है। इस पर जाति का जोर देना सनातन धर्म की मूल भावना के विपरीत है।
जताया कानून पर भरोसा
महामंडलेश्वर शिवम् जी महाराज ने दोनों पक्षों पर हुई कानूनी कार्रवाई पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि कानून ने अपनी भूमिका निभाई है। अब इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सत्य सामने आ सके और किसी निर्दोष को सजा न मिले।
प्रशासन निष्पक्ष जांच के बाद करे उचित कार्रवाई
उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर सही तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाए। किसी के साथ भेदभाव या पूर्वाग्रह के आधार पर कार्रवाई करना न्याय की मूल भावना को ठेस पहुंचाता है।