भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से गूंजा कोरांव, श्रीमद्भागवत कथा में भक्तों ने किया भक्ति का अनुभव

कोरांव में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान स्वामी आशीष महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। श्रद्धालुओं ने पूतना वध, गोवर्धन पूजा और सुदामा प्रसंग में गहरी आस्था जताई।

Prayagraj: नगर पंचायत कोरांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा स्थल भक्ति, श्रद्धा और जय श्रीकृष्ण के जयघोषों से गूंज उठा। कथा वाचक स्वामी आशीष महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का ऐसा मार्मिक और जीवंत वर्णन किया कि श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के हर प्रसंग ने श्रोताओं के हृदय को छू लिया और पंडाल तालियों से गूंजता रहा।

हर युग में भगवान करते हैं भक्तों की रक्षा
स्वामी आशीष महाराज ने कहा कि भगवान हर युग में अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं। जब जब धर्म की हानि होती है, तब-तब वे अधर्म का नाश करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं इस सत्य का उदाहरण हैं, जहां उन्होंने बाल्यावस्था में ही राक्षसी शक्तियों का अंत किया और ग्वालों तथा भक्तों की रक्षा की।

पूतना वध और गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा से झूमे श्रद्धालु
कथा में पूतना वध, गोवर्धन पर्वत उठाने और कंस के षड्यंत्रों से जुड़ी लीलाओं का जब विस्तार से वर्णन हुआ, तो वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया। स्वामी जी ने जब इन्द्र द्वारा की गई मूसलधार वर्षा और गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों को बचाने का प्रसंग सुनाया, तो पंडाल में तालियों की गड़गड़ाहट और "जय श्रीकृष्ण" के जयघोष गूंज उठे। श्रद्धालुओं ने भक्ति रस में डूबकर हर प्रसंग का आनंद लिया।

संदीपन आश्रम और सुदामा की मित्रता का भावुक प्रसंग
स्वामी आशीष महाराज ने कथा में जब श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन किया, तो वहां मौजूद श्रद्धालु भावुक हो उठे। उन्होंने बताया कि संदीपन आश्रम में जब गुरुमाता ने चना दिया, तो सुदामा ने अकेले ही उसे खा लिया, क्योंकि वह चना श्रापित था। सुदामा ने सोचा कि यदि कृष्ण ने यह खा लिया तो वह सदा गरीब रहेंगे। उन्होंने मित्र धर्म निभाते हुए अपने लिए कष्ट स्वीकार किया, लेकिन श्रीकृष्ण को कष्ट में नहीं देखा। इस प्रसंग ने सच्चे मित्रता की मिसाल पेश की।

श्रद्धा और सजावट से सजा कथा स्थल
कथा स्थल को सुंदर फूलों और धार्मिक झांकियों से सजाया गया है। आयोजन में सारों देवी कथा के जजमान के रूप में मौजूद रहीं। इस अवसर पर धनश्याम दास केशरी, धर्मेंद्र केशरी सहित नगर के अनेक श्रद्धालुजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में नगरवासी और आसपास के गांवों से आए श्रद्धालु श्रीमद्भागवत कथा में भाग लेकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

भक्ति और संस्कृति का संगम
कोरांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ना केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक चेतना को भी जागृत कर रही है। कथा के प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, जिससे स्पष्ट है कि धर्म और भक्ति की इस धारा में सभी वर्गों के लोग आत्मीय भाव से सम्मिलित हो रहे हैं। आयोजकों ने बताया कि कथा का समापन भव्य भंडारे और हवन-पूजन के साथ होगा।

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