Jalaun News: नाली में जाम और प्रधान की चुप्पी! मजबूर ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर खोली शिकायतों की पोल

जनपद जालौन के विकास खंड कुठौंद क्षेत्र के ग्राम चौथ के ग्रामीणों ने जल निकासी की गंभीर समस्या को लेकर जिला प्रशासन से गुहार लगाई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 18 June 2025, 5:27 PM IST
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उरई (जालौन): जनपद जालौन के विकास खंड कुठौंद क्षेत्र के ग्राम चौथ के ग्रामीणों ने जल निकासी की गंभीर समस्या को लेकर जिला प्रशासन से गुहार लगाई है। सोमवार को गांव के कई प्रमुख लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा और अपनी पीड़ा को शब्दों में सामने रखा।

कब और कहाँ?

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,   यह मामला विकास खंड कुठौंद के ग्राम चौथ का है। ग्रामीणों ने 17 जून को कलेक्ट्रेट कार्यालय उरई में सिटी मजिस्ट्रेट से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने गांव में व्याप्त जलभराव और नालियों की सफाई न होने की बात को प्रमुखता से उठाया।

क्यों हुआ विरोध?

ग्रामीणों का कहना है कि मकानों के सामने की सड़कों पर कई दिनों से भारी जलभराव बना हुआ है। इस जलभराव के कारण लोगों को घुटनों तक पानी में चलकर आना-जाना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सबसे अधिक परेशान हैं। इसके साथ ही गंदा पानी बीमारियों को भी दावत दे रहा है।

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि गांव की मुख्य नालियां पूरी तरह से जाम हैं, और ग्राम प्रधान सफाई कराने में पूरी तरह उदासीन हैं। लोगों ने कहा कि बार-बार निवेदन करने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही, जिससे अब उन्हें मजबूर होकर प्रशासन के सामने आना पड़ा।

क्या है ग्रामीणों की मांग?

ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द नालियों की सफाई कराई जाए और रोड पर भरे पानी को निकलवाया जाए। उन्होंने कहा कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

ज्ञापन सौंपने वालों में धर्मेंद्र सिंह, महावीर सिंह, दिनेश सिंह, वकील सिंह, मकरंद सिंह, सुरेंद्र सिंह, ओमकार तोमर, सुरेश सिंह सहित कई अन्य ग्रामीण शामिल रहे।

प्रशासन की प्रतिक्रिया?

सिटी मजिस्ट्रेट ने ज्ञापन प्राप्त करने के बाद आश्वासन दिया कि समस्या की जांच कर संबंधित विभाग को निर्देशित किया जाएगा, जिससे जल्द समाधान हो सके। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि ग्राम स्तर पर बुनियादी व्यवस्थाएं इतनी लचर क्यों हैं? अगर आम आदमी को प्रशासनिक दफ्तरों की चौखट तक आना पड़े, तो यह स्थानीय शासन की नाकामी का प्रमाण है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी दिखाता है।

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