गोरखपुर में पुलिस परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल, सिलाई-कढ़ाई से लेकर कंप्यूटर तक मिलेगा प्रशिक्षण

यह कार्यशाला केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सशक्त सामाजिक बदलाव की पहल है, जिसमें वर्दीधारी कर्मियों के परिवारों को भी मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया।

Gorakhpur: गोरखपुर जनपद में शनिवार को पुलिस लाइन परिसर में एक सराहनीय और प्रभावशाली पहल देखने को मिली, जब वामा सारथी गोरखपुर जोन के नेतृत्व में कौशल विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस विशेष कार्यक्रम का उद्देश्य पुलिस कर्मियों के परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाना था।

इस आयोजन में वामा सारथी गोरखपुर जोन की अध्यक्षा श्रीमती सोभा जैन, वामा सारथी गोरखपुर रेंज की अध्यक्षा डॉ. मुक्ता शिव शिंपी और वामा सारथी जनपद गोरखपुर की प्रभारी अध्यक्षा श्रीमती उमा जायसवाल की विशेष उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM) के सहयोग से किया गया।'

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प्रशिक्षण के प्रमुख क्षेत्र

  1. सिलाई एवं कढ़ाई
  2. ब्यूटीशियन प्रशिक्षण
  3. कंप्यूटर कौशल विकास
  4. खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग)
  5. हस्तशिल्प (हैंडिक्राफ्ट)
  6. घरेलू उद्यमिता के स्वरोजगार विकल्प

इन कोर्सों के माध्यम से पुलिस परिवारों की महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार के लिए तैयार किया जाएगा। कार्यशाला में लगभग 100 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया और प्रशिक्षण में रुचि दिखाई।

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वक्ताओं के विचार

श्रीमती सोभा जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे पुलिस कर्मी समाज की रक्षा के लिए दिन-रात सेवा में लगे रहते हैं। ऐसे में उनके परिवारों की सशक्तिकरण की जिम्मेदारी हमारी है। यह कार्यशाला इसी दिशा में एक नई शुरुआत है।”

डॉ. मुक्ता शिव शिंपी ने कहा, “कौशल विकास से न सिर्फ आर्थिक आत्मनिर्भरता मिलती है, बल्कि इससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है। समाज के हर वर्ग को आत्मनिर्भर बनाना हमारा लक्ष्य है।”

उमा जायसवाल ने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा, “यह प्रशिक्षण आपके जीवन में एक सकारात्मक मोड़ ला सकता है। हमें विश्वास है कि आप सब आगे चलकर मिसाल बनेंगे।”

मिशन की भूमिका

कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस पहल के अंतर्गत प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद प्रतिभागियों को स्वरोजगार से जोड़ने या रोजगार दिलाने की व्यवस्था भी की जाएगी।

सामाजिक सहभागिता का प्रतीक

यह कार्यशाला केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सशक्त सामाजिक बदलाव की पहल है, जिसमें वर्दीधारी कर्मियों के परिवारों को भी मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया गया। आयोजन में पुलिस अधिकारियों, उनके परिजनों, कौशल मिशन से जुड़े प्रशिक्षकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही।

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