

22 साल की गुलफिजा को दहेज की लालच में ससुरालवालों ने तेजाब पिलाकर मार डाल। 17 दिन तक अस्पताल में तड़पती रही और खून की उल्टियां करती रही। अंत में इलाज के अभाव में मौत हो गई। परिवार इंसाफ के लिए भटक रहा है।
गुलफिजा और उसका पति परवेज
Moradabad: "मेरी फूल जैसी बेटी को उन जालिमों ने तेजाब पिलाकर मार डाला..." यह दर्द है अफसरीन का, जो 22 साल की बेटी गुलफिजा की मौत के छह दिन बाद भी होश में नहीं हैं। बेटी के आखिरी शब्दों को याद कर वह बार-बार बेसुध हो जाती हैं।
गुलफिजा की शादी 6 महीने पहले ही अमरोहा के परवेज से हुई थी। दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे। शादी में दोनों परिवारों की रजामंदी थी। मगर कुछ ही समय बाद दहेज की लालच ने इस रिश्ते को जहरीला बना दिया।
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गुलफिजा की मां अफसरीन बताती हैं कि शादी के कुछ महीने बाद ही ससुराल वालों ने दहेज की मांग शुरू कर दी। 10 लाख रुपए मायके से लाने का दबाव बनाया गया। गुलफिजा ने इनकार किया तो मारपीट और प्रताड़ना शुरू हो गई। 11 अगस्त को गुलफिजा की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। उसी दिन दोपहर 1:30 बजे गुलफिजा के ससुराल से फोन आया- "आपकी बेटी ने तेजाब पी लिया है, हालत नाजुक है।"
अस्पताल में एडमिट गुलफिजा
गंभीर हालत में गुलफिजा को पहले मुरादाबाद के अस्पताल और फिर ICU में भर्ती कराया गया। हालत में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन ससुर असीम उसकी इलाज की फाइलें लेकर भाग गया। अगले ही दिन गुलफिजा की हालत फिर बिगड़ी। माता-पिता उसे लेकर दिल्ली AIIMS और सफदरजंग अस्पताल तक गए, लेकिन इलाज के कागज न होने की वजह से कहीं एडमिशन नहीं मिला। एम्बुलेंस में तड़पती गुलफिजा बार-बार खून की उल्टियां करती रही। आखिरकार इलाज न मिलने से उसने दम तोड़ दिया।
गुलफिजा के पिता मोहम्मद फुरकान ने पति परवेज, ससुर असीम, सास गुलिस्ता, भाई मोनीस और सैफ, फूफा भूरा और बब्बो पर दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और हत्या की धाराओं में केस दर्ज कराया है। पुलिस ने परवेज को गिरफ्तार कर लिया है। अन्य 6 आरोपी अब भी फरार हैं। CO सिटी शक्ति सिंह ने बताया कि मुख्य आरोपी से पूछताछ की जा रही है और बाकी को पकड़ने के लिए दबिश दी जा रही है।
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जब टीम गुलफिजा की ससुराल अमरोहा के कालाखेड़ा गांव पहुंची तो पूरा घर बंद मिला। पड़ोसी मोहम्मद फैज ने कहा, "झगड़े तो होते रहते हैं, हमने देखा था कि लड़की खुद एसिड पीने की कोशिश कर रही थी।" परिजन इस बयान को झूठा बताते हुए कहते हैं कि "अगर वो बेगुनाह होते तो फरार क्यों होते?"
गुलफिजा के चाचा रिहान अली कहते हैं, "मैंने उसे गोद में खिलाया है। उसने जो दर्द सहा, वो कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। हमारी बिटिया को इंसाफ दिलाइए।"