

गोरखपुर के बड़हलगंज स्थित लेटाघाट सरयू तट पर श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर चाणक्य विचार संस्थान के तत्वावधान में “श्रावणी उपाकर्म” एवं “सप्तऋषि पूजन” का भव्य आयोजन हुआ। यह आयोजन वैदिक परंपराओं और भारतीय संस्कृति के संरक्षण का सशक्त उदाहरण बना।
सरयू तट पर सप्तऋषि पूजन का कार्यक्रम
Gorakhpur: चाणक्य विचार संस्थान परिवार द्वारा श्रावण मास की पूर्णिमा के पावन अवसर पर शनिवार को गोला तहसील के अंतर्गत बड़हलगंज उपनगर स्थित लेटाघाट सरयू तट पर "श्रावणी उपाकर्म" और "सप्तऋषि पूजन" का अत्यंत भव्य और दिव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन वैदिक रीति-रिवाजों के साथ पूर्वांचल प्रभारी आचार्य कन्हैयालाल तिवारी के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कार्यक्रम में वैदिक परंपरा अनुसार प्रायश्चित संकल्प, दशविधि स्नान, ऋषि तर्पण और सप्तऋषि पूजन संपन्न हुआ। उपस्थित ब्राह्मणों और आचार्यों ने पुराने यज्ञोपवीत (जनेऊ) को उतारकर नया यज्ञोपवीत धारण किया। वैदिक मंत्रों की गूंज से सरयू तट का वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो गया।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
इस विशेष अवसर पर चाणक्य विचार संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य वेद प्रकाश त्रिपाठी, प्रदेश अध्यक्ष विनय कुमार तिवारी, प्रदेश महामंत्री आचार्य दीपक त्रिपाठी, आचार्य अभिषेक ओझा और आचार्य शशिमौलि त्रिपाठी सहित अनेक प्रतिष्ठित आचार्य और विद्वान उपस्थित रहे।
संकल्प लेने का पवित्र अवसर
आचार्य वेद प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा, "श्रावणी उपाकर्म केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, आत्म-अनुशासन और ज्ञानार्जन का संकल्प लेने का पवित्र अवसर होता है। यह पर्व हमारी सनातन संस्कृति का मूल स्तंभ है, जो हमें ऋषियों की परंपरा से जोड़ता है।"
विशेष रूप से नगर पंचायत बड़हलगंज के चेयरमैन प्रतिनिधि महेश उमर की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और बढ़ाया। उनके साथ विप्र समाज के अनेक लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और सनातन संस्कृति के संरक्षण का संकल्प दोहराया।
वैचारिक मंच नहीं, सांस्कृतिक चेतना का प्रबल वाहक
चाणक्य विचार संस्थान का यह प्रयास न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह सामाजिक समरसता, आध्यात्मिक जागरूकता और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत करने वाला साबित हुआ। संस्था ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि वह केवल वैचारिक मंच नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना का प्रबल वाहक भी है। यह आयोजन गोरखपुर की सांस्कृतिक धरोहर में एक गौरवपूर्ण अध्याय के रूप में दर्ज किया जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी परंपरा और संस्कारों के प्रति जागरूक करेगा। बता दें कि चाणक्य विचार संस्थान ने इस आयोजन के माध्यम से एक बार फिर अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।