

महिला सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण को समाज में मजबूत आधार देने के उद्देश्य से चलाए जा रहे “मिशन शक्ति फेज-5” के तहत शनिवार को गोरखपुर पुलिस ने एक अनूठी पहल की। जिससे महिलाओं का मनोबल बढ़ा।
गोरखपुर में मिशन शक्ति अभियान
Gorakhpur: महिला सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण को समाज में मजबूत आधार देने के उद्देश्य से चलाए जा रहे “मिशन शक्ति फेज-5” के तहत शनिवार को गोरखपुर पुलिस ने एक अनूठी पहल की। समाधान दिवस के अवसर पर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, बेलघाट की कक्षा 9 की छात्रा आकांक्षा चौहान (16 वर्ष) को एक दिन के लिए थानाध्यक्ष बेलघाट की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इस दौरान छात्रा आकांक्षा ने न सिर्फ थाने में आने वाले फरियादियों की समस्याएं सुनीं, बल्कि उनके निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी जारी किए। यह दृश्य देखकर थाना परिसर में मौजूद लोग हैरान और उत्साहित दोनों रहे। छात्राओं के बीच यह संदेश गया कि पुलिस तंत्र पारदर्शी है और हर किसी को न्याय दिलाने के लिए तत्पर है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राज करन नय्यर के निर्देशन और पुलिस अधीक्षक अपराध/नोडल मिशन शक्ति गोरखपुर के पर्यवेक्षण में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बालिकाओं में सुरक्षा, स्वावलंबन और विश्वास का माहौल बनाना था। थाने पर मौजूद अन्य छात्राओं को भी थाना प्रबंधन और पुलिस कार्यप्रणाली की बारीकियों से अवगत कराया गया। उन्हें बताया गया कि मालखाने में बरामद सामान किस प्रकार सुरक्षित रखा जाता है, जनरल डायरी (जीडी) में हर घटना का रिकॉर्ड कैसे दर्ज होता है और पुलिस रजिस्टरों में किस तरह का विवरण लिखा जाता है।
इस अवसर पर उपजिलाधिकारी खजनी, क्षेत्राधिकारी खजनी, राजस्व अधिकारीगण तथा पुलिस कर्मियों ने भी भाग लिया। अधिकारियों ने बालिकाओं को समझाया कि मिशन शक्ति केवल एक अभियान नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम में शामिल छात्राओं ने भी खुलकर अपनी जिज्ञासाएं पूछीं और पुलिस अधिकारियों से अपने सवालों के जवाब पाए। थाने की कार्यप्रणाली देखकर छात्राओं ने कहा कि यह अनुभव उनके जीवन के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। आकांक्षा चौहान ने भी इस अवसर को “यादगार और प्रेरणादायक” बताया। उन्होंने कहा कि एक दिन के लिए थानाध्यक्ष बनकर उन्हें यह समझ आया कि जिम्मेदारी कितनी बड़ी होती है और पुलिस समाज के प्रति कितनी गंभीरता से काम करती है।
गोरखपुर पुलिस की इस अनोखी पहल ने न केवल छात्राओं का मनोबल बढ़ाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि भविष्य में बेटियां हर क्षेत्र में नेतृत्व कर सकती हैं।
इस खबर को पढ़कर लगता है कि पुलिस का यह प्रयोग आने वाले समय में महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनेगा।