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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क दुर्घटनाओं पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि एक भी मौत स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों को निर्देश दिए कि ठंड और कोहरे में ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत कड़ी कार्रवाई कर दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण किया जाए।
सड़क हादसों पर चलेगा सख्त अभियान
Gorakhpur: प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया कि “सड़क दुर्घटनाओं में एक भी मौत स्वीकार्य नहीं है।” लखनऊ स्थित पांच कालिदास मार्ग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी मंडलों और जिलों के अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने ठंड और कोहरे के मौसम में ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
गोरखपुर मंडलायुक्त सभागार में आयोजित इस उच्चस्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मंडलायुक्त अनिल ढींगरा, पुलिस महानिरीक्षक गोरखपुर परिक्षेत्र एस. चनप्पा, जिलाधिकारी दीपक मीणा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरन नय्यर, नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल, जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्धन, मुख्य विकास अधिकारी शाश्वत त्रिपुरारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश झा सहित सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कोहरे के दौरान हाईवे, स्टेट रोड और शहरी सड़कों पर विशेष निगरानी अभियान चलाया जाए। सभी दुर्घटना संभावित ब्लैक स्पॉट का पुनः सर्वे कर वहां रिफ्लेक्टिव साइन बोर्ड, क्रैश बैरियर, रोड मार्किंग, स्टड लाइट और स्पीड कंट्रोल उपाय तत्काल पूरे किए जाएं। उन्होंने रात के समय सड़कों पर भारी वाहनों की अनियंत्रित पार्किंग को दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बताते हुए इस पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।
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योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नशे में वाहन चलाना, ओवरस्पीडिंग, रॉन्ग साइड ड्राइविंग, बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट—इन सभी उल्लंघनों पर सख्त प्रवर्तन हो। ट्रैफिक पुलिस और स्थानीय पुलिस संयुक्त रूप से विशेष चेकिंग अभियान चलाएं। बस और ट्रक चालकों के नेत्र परीक्षण और स्वास्थ्य जांच को अनिवार्य करने के भी निर्देश दिए गए।
आंकड़ों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटनाओं में 19,149 मौतें हुईं, जो 2024 में बढ़कर 24,118 हो गईं, हालांकि वृद्धि दर 2021 के 10.83 प्रतिशत से घटकर 2024 में 1.97 प्रतिशत रह गई है। यह सुधारात्मक प्रयासों का संकेत है, लेकिन संतोष की कोई गुंजाइश नहीं है।
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मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि सड़क सुरक्षा केवल परिवहन या पुलिस विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रशासन, नगर निकाय, स्वास्थ्य, लोक निर्माण और शिक्षा विभाग—सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है। दुर्घटना की स्थिति में गोल्डन ऑवर में उपचार सुनिश्चित करने के लिए एंबुलेंस, ट्रॉमा सेंटर और अस्पतालों की तत्परता पर विशेष जोर दिया गया।
अंत में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हर जिले में सड़क सुरक्षा की मासिक समीक्षा, व्यापक जन-जागरूकता अभियान और स्कूल-कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। उनका स्पष्ट संदेश था—“हर दुर्घटना रोकी जा सकती है, हर जान की कीमत है; लापरवाही पर जवाबदेही तय होगी।”