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गोला तहसील क्षेत्र की नौ राइस मिलों में इस सीजन धान कुटाई का काम शुरू ही नहीं हो सका है, जिससे सरकारी खरीद व्यवस्था पर संकट मंडराने लगा है। कुटाई ठप होने से मिलों में धान की आवक पूरी तरह रुकी है और अब तक खरीदा गया सारा धान गोदामों में ही जमा हो गया है।
गोरखपुर मंडल अध्यक्ष अनिल तिवारी ने दी जानकारी
Gorakhpur: गोला तहसील क्षेत्र की नौ राइस मिलों में इस सीजन धान कुटाई का काम शुरू ही नहीं हो सका है, जिससे सरकारी खरीद व्यवस्था पर संकट मंडराने लगा है। कुटाई ठप होने से मिलों में धान की आवक पूरी तरह रुकी है और अब तक खरीदा गया सारा धान गोदामों में ही जमा हो गया है। यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो अगले कुछ दिनों में खरीद प्रक्रिया बाधित हो सकती है।
खाद्य विभाग के अनुसार, गोला क्षेत्र के चार सरकारी क्रय केंद्रों पर अब तक करीब 4419 क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है। इसके अलावा पीसीयू के दो तथा पीसीएफ के तीन केंद्रों पर लगभग 1000 क्विंटल धान खरीदा गया है। खरीदारी प्रतिदिन जारी है, लेकिन राइस मिलों में कुटाई न होने की वजह से एक भी बोरी आगे प्रोसेसिंग के लिए नहीं भेजी जा सकी। इससे गोदामों में जगह की कमी और खरीद रुकने की आशंका बढ़ गई है।
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पूर्वांचल राइस मिल एसोसिएशन के गोरखपुर मंडल अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि कुटाई न शुरू होने का बड़ा कारण फोर्टिफाइड चावल की उपलब्धता में देरी है। सरकारी निर्देशों के अनुसार कुटाई के बाद तैयार चावल में एक प्रतिशत फोर्टिफाइड चावल मिलाना अनिवार्य है। जब तक यह मिश्रण नहीं किया जाता, खाद्य विभाग तैयार चावल की सप्लाई स्वीकार नहीं करता। उन्होंने बताया कि साधारण चावल का कोटा, जो एथनॉल और डिस्टिलरी उद्योग में उपयोग होता है, इस बार बेहद कम है। इससे मिलों में कुटाई की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।
जिला खाद्य विपणन अधिकारी अरविंद दूबे ने बताया कि फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति में देरी का मुख्य कारण इसका लैब परीक्षण लंबा होना है। गुणवत्ता जांच पूरी होते ही फोर्टिफाइड चावल मिलरों को उपलब्ध करा दिया जाएगा और कुटाई कार्य शुरू हो सकेगा।
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उल्लेखनीय है कि फोर्टिफाइड चावल पोषणयुक्त चावल होता है, जिसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 मिलाए जाते हैं। प्रति क्विंटल धान पर मिलरों को एक किलोग्राम फोर्टिफाइड चावल मिलाना अनिवार्य है। फोर्टिफाइड चावल की कमी से इस बार पूरी कुटाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है और इसका सीधा असर सरकारी खरीद पर पड़ रहा है।