

विभाग की टीम ने छापेमारी कर 13,000 से अधिक नकली बोतलें बरामद की हैं। हैरानी की बात यह है कि ये फैक्ट्रियां न सिर्फ बिना किसी वैध लाइसेंस के चल रही थी। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मौके पर जांच करते अफसर
ग्रेटर नोएडा: क्या आपने कभी सोचा है कि जिस बोतलबंद पानी को आप ब्रांडेड समझकर आंख बंद कर खरीद लेते हैं। वह असल में नकली भी हो सकता है? ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला ग्रेटर नोएडा के कासना इंडस्ट्रियल एरिया से सामने आया है। जहां दो अवैध फैक्ट्रियों में 'बिसलेरी' जैसी दिखने वाली बोतलों में नकली पानी भरकर उसे ‘बिलसेरी’ और ‘ब्लेसरी’ जैसे नामों से बाजार में बेचा जा रहा था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस फर्जीवाड़े का खुलासा खाद्य सुरक्षा विभाग ने किया है। विभाग की टीम ने छापेमारी कर 13,000 से अधिक नकली बोतलें बरामद की हैं। हैरानी की बात यह है कि ये फैक्ट्रियां न सिर्फ बिना किसी वैध लाइसेंस के चल रही थीं, बल्कि पानी की गुणवत्ता जांचने या उसे शुद्ध करने की कोई व्यवस्था भी मौजूद नहीं थी।
कैसे हुआ खुलासा?
खाद्य सुरक्षा विभाग को पिछले कुछ दिनों से शिकायतें मिल रही थी कि ग्रेटर नोएडा के कुछ इलाकों में अवैध तरीके से पैक्ड पानी तैयार किया जा रहा है। इसी सूचना के आधार पर विभाग की टीम ने कासना स्थित साइट-5 के दो अलग-अलग स्थानों पर छापा मारा।
दो अवैध फैक्ट्री पर छापा
पहली फैक्ट्री 'गुप्ता इंटरप्राइजेज' के नाम से K-300 साइट-5 में संचालित हो रही थी। जहां ‘Bilseri’ ब्रांड नाम से पानी की बोतलें पैक की जा रही थी। दूसरी फैक्ट्री ‘पैरामेट्रो वॉसर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से A-2/88 साइट-5 में चल रही थी। जहां 'Bleseri' ब्रांड के नाम से नकली पानी बेचा जा रहा था।
सिर्फ इतना है फर्क
इन ब्रांड्स के नाम सुनने और देखने में बिल्कुल ‘Bisleri’ जैसे हैं। अंतर केवल कुछ अक्षरों के हेरफेर का है। जैसे 'Bilseri' में 'S' और 'L' की जगह बदल दी गई है और 'Bleseri' में भी ऐसा ही भ्रम पैदा करने वाला फेरबदल किया गया है। अधिकारी बताते है कि आमतौर पर उपभोक्ता ब्रांड का नाम ध्यान से नहीं पढ़ते। बस बोतल की डिजाइन देखकर उसे असली मान लेते हैं।
नकली बोतलों की आपूर्ति कहां हो रही थी?
इन नकली बोतलों की आपूर्ति दिल्ली-एनसीआर के छोटे दुकानदारों, चाय की दुकानों, स्टेशन, बस स्टैंड और भीड़भाड़ वाले इलाकों में की जा रही थी। ऐसे स्थानों पर ग्राहक अक्सर ब्रांड का नाम सही से नहीं पढ़ते और बोतल की शक्ल देखकर खरीदारी कर लेते हैं। इसी आदत का फायदा उठाकर ये फर्जी फैक्ट्रियां बड़े पैमाने पर नकली पानी की सप्लाई कर रही थीं।