

गोरखपुर के गोला कस्बे व आसपास के गांवों में यूरिया खाद की कमी और महंगे दामों पर बिक्री से किसान परेशान हैं। निर्धारित मूल्य से 70-90 रुपये अधिक मूल्य वसूला जा रहा है और प्राइवेट दुकानदारों द्वारा जिंक खरीदने का दबाव भी बनाया जा रहा है।
यूरिया खाद
Gorakhpur: गोरखपुर के गोला कस्बे और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में यूरिया खाद को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। निर्धारित मूल्य 266.50 रुपये प्रति बोरी के बजाय किसानों से प्राइवेट दुकानों पर 70 से 90 रुपये तक अधिक वसूला जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि यूरिया के साथ जबरन जिंक खरीदने का दबाव भी डाला जा रहा है, जिससे किसानों में आक्रोश है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, गोला क्षेत्र में कुल दस साधन सहकारी समितियां हैं, जिनमें से भरोह समिति बंद पड़ी है। बाकी नौ समितियों में हाल ही में यूरिया खाद पहुंची है। ककरही, पकड़ी और विशुनपुर राजा समितियों में आज यूरिया की खेप उतर रही है। समितियों पर यूरिया आते ही सुबह से ही किसानों की लंबी कतारें लग रही हैं, लेकिन जैसे ही समिति का स्टॉक खत्म होता है, प्राइवेट दुकानदारों की चांदी हो जाती है।
निर्धारित मूल्य से अधिक दाम पर हो रही बिक्री
प्राइवेट दुकानों पर यूरिया निर्धारित मूल्य से कहीं अधिक पर बेची जा रही है। एक सप्ताह पूर्व जब समितियों पर यूरिया खत्म हुई, तो काला बाजारी अपने चरम पर पहुंच गई। किसान मजबूरी में महंगे दाम पर यूरिया खरीदने को विवश हो गए। ककरही समिति के सचिव इंद्रेश शुक्ल, रानीपुर के सचिव घनश्याम मौर्य और विशुनपुर राजा के सचिव कमलेश पांडेय के अनुसार क्षेत्र में 1000 से 1500 बोरियों की तत्काल आवश्यकता है।
फसल के लिए यूरिया जरूरी
रानीपुर के किसान विंध्याचल पांडेय और पांडेयपुर निवासी राजेश पांडेय ने बताया कि धान की रोपाई पूरी हो चुकी है, खरपतवार नाशक दवा भी डाली जा चुकी है और अब फसल की बढ़वार के लिए यूरिया बेहद जरूरी है। ऐसे में किसानों को ब्लैक में महंगी खाद लेनी पड़ रही है।
वहीं इस संबंध में जब जिला कृषि अधिकारी देवेंद्र प्रताप सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यूरिया का सरकारी मूल्य 266.50 रुपये है, अगर कोई दुकानदार इससे अधिक वसूलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि अब 75 प्रतिशत यूरिया खाद सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
किसानों की मांग है कि सरकार समिति गोदामों को हमेशा भरपूर स्टॉक से लैस रखे, ताकि उन्हें प्राइवेट दुकानदारों की मनमानी से बचाया जा सके।