

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में बीते दिनों से तेज बारिश का कहर जारी है। जहां इसी कड़ी में बीते दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने बछरावां विकासखंड के महारानी खेड़ा मजरे समोधा गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मूसलाधार बारिश से घरों में भरा पानी
Raebareli: बीते दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने बछरावां विकासखंड के महारानी खेड़ा मजरे समोधा गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गांव के लगभग दो दर्जन घरों में पानी घुस गया है। सड़कें जलमग्न होने से ग्रामीणों का घरों से निकलना भी दूभर हो गया है।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में जल निकासी की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। बरसात होते ही पानी घरों के अंदर घुस जाता है। स्थानीय निवासी अशोक कुमार, शीतल शंकर, अन्नतू, शिवकुमारी, अनिल, रामू, श्रीराम, पुनर्वासी, जगदीश, सजीवन, पुतून और अहरवादीन समेत अन्य लोगों ने बताया कि वे कई बार ग्राम प्रधान और आला अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन हर बार उनकी बात को अनसुना कर दिया गया।
समस्या से तंग आकर ग्रामीणों ने सड़कों पर भरे पानी में खड़े होकर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों को जमकर कोसा। ग्रामीणों का कहना है कि बरसात आते ही उनका जीवन नरक बन जाता है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी गंभीरता से इस समस्या का समाधान नहीं किया।
ग्रामीणों ने बताया कि पहले पानी निकासी के लिए नाले और पाइप का निर्माण कराया गया था, लेकिन बाद में उस नाले के ऊपर एक मकान बना दिया गया। इससे पानी का निकास पूरी तरह से रुक गया। इसके बाद एक और नाली का निर्माण शुरू किया गया, लेकिन कुछ अराजक तत्वों के विरोध के कारण वह अधूरी ही छोड़ दी गई। नतीजा यह है कि आज भी पानी गांव में भर जाता है और लोगों के घरों तक पहुंच जाता है।
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गांव वालों ने बताया कि घरों के अंदर पानी भरने से सबसे ज्यादा परेशानी छोटे बच्चों को हो रही है। वे अक्सर पानी में गिरकर चोटिल हो जाते हैं। इतना ही नहीं, जलभराव की वजह से संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि इलाज में हजारों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ कागजों में कार्रवाई करते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर कोई सुधार नहीं हो रहा। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही जलभराव की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।