

सिसवा विधानसभा क्षेत्र के निचलौल में स्थित प्रसिद्ध दर्जनिया ताल जो कभी पिकनिक स्पॉट और मगरमच्छों के संरक्षण स्थल के रूप में जाना जाता था। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
दर्जनिया ताल का बेहाल हाल
महराजगंज: सिसवा विधानसभा क्षेत्र के निचलौल में स्थित प्रसिद्ध दर्जनिया ताल जो कभी पिकनिक स्पॉट और मगरमच्छों के संरक्षण स्थल के रूप में जाना जाता था, आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यह ताल लगभग 400 मगरमच्छों का घर है, लेकिन अब संरक्षण की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह उपेक्षा का शिकार हो गया है।
कभी आकर्षण का केंद्र, आज बदहाली का प्रतीक
त्योहारों, छुट्टियों और नववर्ष के मौकों पर यहां सैलानियों की भीड़ उमड़ती थी। परिवार और दोस्त इस प्राकृतिक स्थल की खूबसूरती का लुत्फ उठाने आया करते थे। मगर अब स्थिति बिल्कुल विपरीत हो गई है। चारों ओर उगी झाड़ियां, गंदगी से भरा तालाब, और टूटा-फूटा वॉच टॉवर दर्शाता है कि इस पर्यावरणीय धरोहर की देखभाल अब कोई नहीं कर रहा।
वॉच टॉवर क्षतिग्रस्त, पर्यटकों की आवाजाही बंद
मगरमच्छों को देखने के लिए बनाया गया वॉच टॉवर अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है। यह एक समय पर बच्चों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हुआ करता था। आज वहां पहुंचना भी खतरे से खाली नहीं है।
स्थानीय प्रशासन की उदासीनता पर उठते सवाल
स्थानीय लोगों का मानना है कि दर्जनिया ताल की यह हालत जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और प्रशासनिक अनदेखी का परिणाम है। जहां एक तरफ इसे एक इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता था, वहीं दूसरी तरफ यह आज खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
संभावनाएं अभी भी जिंदा हैं
हालांकि दर्जनिया ताल की स्थिति दयनीय हो गई है, लेकिन यदि शासन और प्रशासन की तरफ़ से थोड़ी सी भी गंभीरता दिखाई जाए, तो यह स्थल पर्यटन, जैव विविधता संरक्षण और स्थानीय रोजगार का बड़ा स्रोत बन सकता है। जरूरत है सिर्फ एक नई सोच की, और ठोस प्रयासों की।
दर्जनिया ताल न केवल मगरमच्छों का आश्रय स्थल है, बल्कि यह क्षेत्र की संस्कृति, पर्यावरण और पर्यटन से भी जुड़ा हुआ है। इसे पुनर्जीवित करने के लिए सामूहिक और सरकारी दोनों के प्रयास जरूरी है।