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मुरादाबाद की लारा कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण मुआवजा न देने पर सख्त कार्रवाई करते हुए बिजनौर डीएम के शासकीय आवास को कुर्क करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने डीएम को 9 जनवरी 2026 को तलब किया है।
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Moradabad: मुरादाबाद स्थित लारा कोर्ट (न्यायालय भूमि अर्जन पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन प्राधिकरण) ने भूमि अधिग्रहण के एक मामले में मुआवजा भुगतान न करने पर सख्त रुख अपनाते हुए बिजनौर के जिलाधिकारी (डीएम) के शासकीय आवास को कुर्क करने का आदेश दिया है। अदालत के इस आदेश से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
डिक्री के बावजूद भुगतान न होने पर कोर्ट नाराज
अदालत के समक्ष यह मामला तब आया जब वादी उमेश की ओर से बताया गया कि न्यायालय द्वारा पारित डिक्री के बावजूद भूमि का मुआवजा अब तक अदा नहीं किया गया है। वादी के अधिवक्ता ने अदालत में दलील दी कि बिजनौर जिला प्रशासन को कई बार तगादा करने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया, जबकि प्रशासन आर्थिक रूप से भुगतान करने में सक्षम है।
2020 में पारित हुआ था मुआवजे का आदेश
अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि 13 मार्च 2020 को भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संबंधित निर्णय पारित हो चुका था। इसके बाद भी चार वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बावजूद भूमि स्वामी को उसकी वैध धनराशि नहीं दी गई। अदालत में यह भी बताया गया कि इस पूरे मामले में डीएम बिजनौर की ओर से कोई आख्या या स्पष्ट जवाब दाखिल नहीं किया गया।
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन की ओर से भूलवश ट्रेजरी कार्यालय में कुछ शब्द अंकित कर दिए जाने का बहाना बनाया गया, जबकि वास्तविकता यह है कि भुगतान में जानबूझकर टालमटोल की गई। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जब प्रशासन भुगतान करने में सक्षम है, तो मुआवजा रोके रखना न्याय के साथ अन्याय है।
डीएम आवास कुर्क करने की मांग
वादी की ओर से अदालत से अनुरोध किया गया कि डीएम बिजनौर के शासकीय आवास को कुर्क कर मुआवजे की धनराशि दिलाई जाए। यह भी बताया गया कि यह निष्पादन वाद पिछले चार वर्षों से लंबित है, जो न्याय प्रक्रिया के सिद्धांतों के विपरीत है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
इस दौरान उच्चतम न्यायालय के ‘राजामणि’ प्रकरण का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रत्येक निष्पादन वाद का निस्तारण छह माह के भीतर होना चाहिए। इसके अतिरिक्त पहले भी सीपीसी की धारा 41(2) के तहत नोटिस जारी किया जा चुका है और आदेश 21 नियम 37 सीपीसी की कार्यवाही भी की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद डीएम द्वारा भुगतान नहीं किया गया।
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कोर्ट का सख्त आदेश, डीएम आवास कुर्क होगा
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद लारा कोर्ट ने आदेश 21 नियम 54 सीपीसी के तहत कलेक्टर बिजनौर के शासकीय आवास को कुर्क करने का आदेश पारित कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुर्की की अवधि के दौरान कलेक्टर अपने आवास को किसी भी प्रकार से अंतरित नहीं करेंगे और न ही किसी आर्थिक लाभ के लिए उसका उपयोग करेंगे।
कुर्की के बावजूद आवास उपयोग की अनुमति
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कुर्की के बावजूद कलेक्टर बिजनौर अपने कार्यालयीय दायित्वों के अनुरूप उक्त आवास का उपयोग निवास के रूप में कर सकेंगे। हालांकि संपत्ति पर किसी प्रकार का लेन-देन या व्यावसायिक उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
9 जनवरी 2026 को कोर्ट में पेश होने के आदेश
आदेश 21 नियम 54 (1)(क) सीपीसी के तहत अदालत ने डीएम बिजनौर को निर्देशित किया है कि वे कुर्क की गई संपत्ति के संभावित विक्रय की उद्घोषणा की शर्तें तय करने के लिए 9 जनवरी 2026 को न्यायालय में उपस्थित हों। इस आदेश के बाद मामले ने प्रशासनिक और कानूनी दोनों स्तरों पर गंभीर रूप ले लिया है।