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गोरखपुर दीवानी न्यायालय परिसर में आज ‘मां के नाम पौधरोपण’ कार्यक्रम के तहत न्यायाधीशों ने अपनी माताओं के सम्मान में पौधे लगाए। जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार झा की पहल पर हुए इस आयोजन में पर्यावरण संरक्षण और संवेदनशीलता का संदेश दिया गया।
पौधारोपण कार्यक्रम
Gorakhpur: आज बुधवार को गोरखपुर के दीवानी न्यायालय परिसर में एक अनूठा दृश्य देखने को मिला, जहां न्याय की कठोर दीवारों के बीच हरियाली और ममत्व की मधुर कहानी लिखी गई। जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार झा की अगुवाई में “मां के नाम पौधरोपण” कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें न्यायाधीशों ने अपनी माताओं के सम्मान में पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस अवसर पर अपर जनपद न्यायाधीश राकेशपति त्रिपाठी, उमेश चंद्र पाण्डेय, प्रवीण कुमार सिंह, सिद्धार्थ सिंह, पंकज श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। प्रत्येक न्यायाधीश ने अपनी मां के नाम पर एक पौधा लगाया, जिसे देखकर परिसर में मौजूद लोगों की आंखों में हरियाली का सपना और चेहरों पर मुस्कान खिल उठी। इस कार्यक्रम में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
मां की छांव और पेड़ों की शीतलता एक समान
जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार झा ने कहा, “मां की छांव और पेड़ों की शीतलता में समानता है। जैसे मां हमें जीवन देती है, वैसे ही पेड़ ऑक्सीजन और छांव देकर जीवन संवारते हैं। पौधरोपण एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि जीवन की जरूरत है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी मां के नाम पर एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।”
जनपद न्यायधीश अनिल कुमार झा
बेल, शीशम और सहजन के लगाए पौधे
कार्यक्रम में प्रभागीय वन अधिकारी विकास कुमार यादव, वन विभाग की टीम, अधिवक्ता और न्यायालय कर्मचारी शामिल रहे। परिसर में बेल शीशम और सहजन जैसे उपयोगी पौधे लगाए गए। न्यायाधीशों ने स्वयं गड्ढे खोदे, पौधों को रोपा, पानी डाला और उनकी सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड लगाए। मौके पर उपस्थित लोगों ने तालियों से पौधों रोपड का स्वागत किया, जबकि वन विभाग ने पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी ली।
पर्यावरण को लेकर फैलाई जागरूकता
गौरतलब है कि इस पहल ने न केवल परिसर को हरा-भरा किया, बल्कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी फैलाई। न्यायाधीशों ने अपील की कि हर व्यक्ति अपनी मां के नाम पर कम से कम एक पौधा लगाए, जो भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर बनेगा। इस आयोजन ने कानूनी बहसों के बीच प्रकृति और संवेदनाओं की हरियाली घोली, जो यह साबित करता है कि न्याय और पर्यावरण दोनों ही जीवन के आधार हैं।