

CBI ने यूपी ग्रामीण बैंक, चंदौसी शाखा के शाखा प्रबंधक और फील्ड ऑफिसर को 30,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। महिला उद्यमी को ऋण की शेष राशि जारी करने के बदले की जा रही थी मांग। जांच जारी है।
रिश्वत मांगने पर CBI का शिकंजा
Lucknow: भ्रष्टाचार के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक, चंदौसी शाखा के शाखा प्रबंधक (स्केल-III) और फील्ड ऑफिसर (स्केल-II) को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। दोनों अधिकारी एक महिला उद्यमी से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत मंजूर हुए ऋण की शेष राशि जारी करने के बदले में 30,000 रुपये की अवैध मांग कर रहे थे।
जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता अपनी बहन के साथ चंदौसी में एक कपड़े की दुकान चलाता है। उन्होंने अपनी बहन के नाम से एक लघु परिधान निर्माण इकाई स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना के तहत बैंक से 3 लाख रुपये का ऋण आवेदन किया था। बैंक ने 2.70 लाख रुपये स्वीकृत किए, लेकिन केवल 1,82,500 रुपये ही जारी किए गए, और शेष राशि बिना कारण रोकी गई।
जब शिकायतकर्ता ने बैंक से संपर्क किया तो फील्ड ऑफिसर ने 35,000 रुपये की रिश्वत की मांग की, ताकि बाकी राशि रिलीज की जा सके। बातचीत के बाद, शाखा प्रबंधक और फील्ड ऑफिसर ने 30,000 रुपये में सौदा तय किया।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
शिकायतकर्ता ने इसकी जानकारी सीबीआई को दी। इसके बाद सीबीआई ने जाल बिछाया और 2 सितंबर को फील्ड ऑफिसर व शाखा प्रबंधक को एक साथ 10,000 रुपये की पहली किस्त लेते हुए गिरफ्तार कर लिया।
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सीबीआई की प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों बैंक अधिकारी मिलकर साजिश के तहत अनुचित लाभ की मांग कर रहे थे। यह मामला सिर्फ एक महिला उद्यमी तक सीमित नहीं हो सकता है, और अन्य पीड़ितों की भी तलाश की जा रही है। सीबीआई ने आरोपी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया है।
सीबीआई के अधिकारी अब पूरे प्रकरण की गहनता से जांच कर रहे हैं। इसमें यह भी देखा जा रहा है कि इस प्रकार के मामलों में और कौन-कौन अधिकारी शामिल हो सकते हैं, और क्या यह बड़े स्तर का घोटाला बन सकता है।
यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब सरकार और जांच एजेंसियां बैंकों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले ऋण के नाम पर रिश्वत वसूली करना न सिर्फ कानूनी अपराध है, बल्कि सरकारी भरोसे की भी गंभीर अवहेलना है। ऐसे में सीबीआई की यह कार्रवाई से हलचल मचा हुआ है। फिलहाल दोनों अधिकारी सीबीआई की हिरासत में हैं और आगे की जांच जारी है।