

सोमवार की शाम गोरखपुर के घोसीपुरा मोहल्ले में मूसलाधार बारिश के बीच एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। लाला टोली निवासी अनीश की 8 साल की मासूम बेटी आफरीन, टीले वाली मस्जिद के मदरसे से पढ़ाई कर घर लौट रही थी। बारिश से गलियां जलमग्न थीं, और रास्ते में एक खुला नाला उसकी जिंदगी का काल बन गया।
नगर निगम की बड़ी लापरवाही
Gorakhpur: सोमवार की शाम गोरखपुर के घोसीपुरा मोहल्ले में मूसलाधार बारिश के बीच एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। लाला टोली निवासी अनीश की 8 साल की मासूम बेटी आफरीन, टीले वाली मस्जिद के मदरसे से पढ़ाई कर घर लौट रही थी। बारिश से गलियां जलमग्न थीं, और रास्ते में एक खुला नाला उसकी जिंदगी का काल बन गया। मासूम के कदम फिसले, और वह तेज बहाव में नाले में जा गिरी। लगभग 50 मीटर तक बहने के बाद स्थानीय लोगों ने उसे निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसे पहले निजी अस्पताल, फिर जिला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
आफरीन की मासूम मुस्कान, जो कभी मोहल्ले की गलियों में गूंजती थी, अब हमेशा के लिए खामोश हो गई। इस त्रासदी का जिम्मेदार कोई और नहीं, बल्कि नगर निगम और ठेकेदार की घोर लापरवाही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाले का निर्माण महीनों से "चींटी की चाल" से चल रहा है। नाले के किनारे न तो कोई सुरक्षा बैरिकेड लगाया गया, न ही कोई चेतावनी बोर्ड। अगर न्यूनतम सुरक्षा इंतजाम किए गए होते, तो शायद एक मासूम की जान बच सकती थी।
घटना के बाद मोहल्ले में गम और गुस्से का माहौल है। लोगों का आक्रोश नगर निगम और ठेकेदार के खिलाफ फूट पड़ा है। "हम बार-बार शिकायत करते रहे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आज हमारी बेटी चली गई," एक स्थानीय निवासी ने आंसुओं के बीच कहा। लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी लापरवाही क्यों? क्या एक मासूम की जिंदगी की कोई कीमत नहीं?
यह हादसा नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली और निर्माण कार्यों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी का काला सच उजागर करता है। शहर में कई जगह खुले नाले और बिना सुरक्षा के निर्माण स्थल खतरे का सबब बने हुए हैं। आफरीन की मौत ने सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं। क्या इस त्रासदी के बाद जिम्मेदार जागेंगे? या यह दर्द भी कागजी फाइलों में दबकर रह जाएगा? लोग अब सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि भविष्य में कोई और आफरीन इस लापरवाही का शिकार न बने। मासूम की आंखें अब भी पूछ रही हैं—क्या उसकी मौत व्यर्थ जाएगी?
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