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बाराबंकी के कोठी थाना क्षेत्र के उस्मानपुर गांव में बोरिंग को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक युवक ने शनिवार दोपहर अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली।गंभीर रूप से झुलसे युवक को ग्रामीण तुरंत सीएचसी कोठी लेकर पहुंचे, जहाँ हालत नाजुक होने पर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
बोरिंग के विवाद में युवक ने खुद को लगाई आग
Barabanki: बाराबंकी के कोठी थाना क्षेत्र के उस्मानपुर गांव में बोरिंग को लेकर चल रहे विवाद के बीच एक युवक ने शनिवार दोपहर अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली।गंभीर रूप से झुलसे युवक को ग्रामीण तुरंत सीएचसी कोठी लेकर पहुंचे, जहाँ हालत नाजुक होने पर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
उसमानपुर निवासी नागेश्वर पुत्र सुंदरलाल और उसके भाई शंकरलाल के बीच घर के सामने बोरिंग करने की जगह को लेकर दो दिनों से विवाद चल रहा था। नागेश्वर का कहना था कि बोरिंग उसकी दीवार से थोड़ा दूर की जाए। इस पर सहमति न बनने पर मामला पुलिस तक पहुँचा। शनिवार को पुलिस ने मौके का मुआयना कर समझौता कराया, जिसके बाद शंकर ने बोरिंग का काम शुरू करा दिया।
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बाराबंकी के कोठी थाना क्षेत्र के उस्मानपुर गांव में बोरिंग को लेकर चल रहे विवाद ने शनिवार को गंभीर रूप ले लिया। गांव के ही एक युवक ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली।
सूचना मिलते ही ग्रामीण तुरंत उसे सीएचसी कोठी लेकर पहुंचे। यहां प्राथमिक इलाज के बाद चिकित्सकों ने उसकी स्थिति गंभीर बताई और उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। झुलसे युवक की हालत नाजुक बताई जा रही है और चिकित्सकों ने 24 घंटे तक निगरानी की सलाह दी है।
जानकारी के अनुसार, उस्मानपुर निवासी नागेश्वर पुत्र सुंदरलाल और उसके भाई शंकरलाल के बीच घर के सामने बोरिंग करने की जगह को लेकर दो दिनों से विवाद चल रहा था। नागेश्वर का कहना था कि बोरिंग उसकी दीवार से थोड़ा दूर की जाए। विवाद के चलते दोनों पक्ष आपस में सहमति नहीं बना पाए और मामला पुलिस तक पहुंच गया।
जानकारी के अनुसार, उस्मानपुर निवासी नागेश्वर पुत्र सुंदरलाल और उसके भाई शंकरलाल के बीच घर के सामने बोरिंग करने की जगह को लेकर विवाद चल रहा था। नागेश्वर का कहना था कि बोरिंग उसकी दीवार से थोड़ा दूर की जाए। दो दिन तक चले इस विवाद में दोनों पक्ष आपस में सहमति नहीं बना पाए।
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मामला पुलिस तक पहुँचने पर शनिवार को पुलिस ने मौके का मुआयना किया और दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने का प्रयास किया। पुलिस की समझाइश के बाद शंकर ने बोरिंग का काम शुरू किया। हालांकि, समझौते के बावजूद नागेश्वर तनाव में था और इसी कारण उसने यह गंभीर कदम उठाया।