

विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा के साथ 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ बड़ी बात बोली है। यह फर्ज़ीवाड़े के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।
मोनाड यूनिवर्सिटी (सोर्स: इंटरनेट)
Meerut News: मोनाड विश्वविद्यालय से जुड़े बहुचर्चित फर्जी डिग्री और मार्कशीट घोटाले में हापुड़ की जिला अदालत ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार द्वितीय ने घोटाले में शामिल 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे दो दिन पहले ही इस घोटाले के मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा की भी जमानत याचिका खारिज की गई थी।
जमानत से इनकार किए गए आरोपी
इस घोटाले में जिन 9 आरोपियों की जमानत याचिका नामंजूर की गई है, उनके अनिल बत्रा, नितिन कुमार, इमरान, विपिन चौधरी, कुलदीप सिंह, सन्नी कश्यप, गौरव शर्मा, संदीप कुमार सहरावत और मुकेश ठाकुर नाम हैं। इन सभी पर मोनाड विश्वविद्यालय के कथित चांसलर विजेंद्र सिंह हुड्डा के साथ मिलकर एक संगठित अपराध सिंडिकेट चलाने का आरोप है।
संगठित तरीके से चल रहा था फर्जीवाड़ा
जिला शासकीय अधिवक्ता गौरव नागर ने बताया कि इस सिंडिकेट ने सुनियोजित तरीके से आर्थिक लाभ के उद्देश्य से हजारों फर्जी मार्कशीट, डिग्रियां और दस्तावेज जारी किए। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कई लोगों ने न केवल कई संस्थानों में नौकरियां प्राप्त की। बल्कि कुछ ने अपना व्यवसाय भी स्थापित कर लिया।
कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यह कोई सामान्य अपराध नहीं, बल्कि एक व्यापक और संगठित षड्यंत्र है, जिसने शिक्षा व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। न्यायालय ने कहा कि इस मामले की केवल आरोपियों तक सीमित नहीं रहकर उन लोगों की भी जांच होनी चाहिए जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ प्राप्त किया। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, "आरोपियों ने न केवल शैक्षणिक संस्थान की साख को धूमिल किया, बल्कि समाज में अयोग्य लोगों को अवसर देकर योग्य लोगों का हक भी छीना। यह अपराध न केवल कानूनी बल्कि नैतिक दृष्टि से भी अति गंभीर है।"
जांच एजेंसियों पर जिम्मेदारी बढ़ी
कोर्ट के इस फैसले के बाद जांच एजेंसियों पर दबाव बढ़ गया है कि वे न केवल इस फर्जीवाड़े से जुड़े सभी व्यक्तियों को कानून के दायरे में लाएं, बल्कि उन संस्थानों की भी जांच करें जिन्होंने इन फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्तियां कीं।
क्या है मामला?
हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी पर आरोप है कि वहां बड़े स्तर पर फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट तैयार की जाती थी। इन्हें देशभर में मोटी रकम लेकर बेचा जाता था। इस घोटाले का खुलासा होते ही शिक्षा जगत और प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया था।