UNESCO की विरासत सूची में शामिल हुआ यूपी का ये उत्सव, भारत की परंपरा को मिला वैश्विक मंच

अयोध्या में मनाया जाने वाला दीपोत्सव अब दुनिया की मान्यताप्राप्त सांस्कृतिक धरोहर बन गया है। यूनेस्को ने इसे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल कर भारत की परंपरा को विश्व पहचान दिलाई है। यह उपलब्धि अयोध्या की आध्यात्मिक शक्ति और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को मजबूत करती है।

Updated : 11 December 2025, 7:24 PM IST
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Ayodhya: रामनगरी अयोध्या का भव्य दीपोत्सव अब सिर्फ भारत का नहीं, बल्कि पूरे विश्व का उत्सव बन चुका है। यूनेस्को ने अयोध्या में मनाए जाने वाले दीपोत्सव को अपनी Intangible Cultural Heritage (अमूर्त सांस्कृतिक विरासत) सूची में शामिल कर लिया है। इस ऐतिहासिक घोषणा के साथ ही उत्तर प्रदेश और पूरे देश में उत्साह और गर्व की लहर दौड़ गई है। परंपरा, अध्यात्म और प्रकाश के इस अद्भुत संगम को वैश्विक मंच पर मिली यह पहचान भारत की संस्कृति का सम्मान बढ़ाने वाली साबित हुई है।

दीयों की रोशनी से दुनिया तक पहुँची पहचान

दीपोत्सव को यूनेस्को की सूची में शामिल किए जाने के बाद अयोध्या श्रद्धा और सांस्कृतिक गौरव का केंद्र बन गई है। वर्षों से करोड़ों दीयों की रोशनी में जगमगाने वाला यह आयोजन धार्मिक आस्था, भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक उत्तराधिकार का अनूठा प्रतीक है। दीपोत्सव के दौरान सरयू तट पर प्रज्ज्वलित लाखों दीपक न केवल भारतीय आध्यात्मिकता को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि विश्व भर में आशा, शांति और प्रकाश के संदेश फैलाते हैं।

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यूनेस्को द्वारा मिली इस वैश्विक मान्यता के बाद अयोध्या के साधु-संतों, सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों में अपार उत्साह देखने को मिला। धार्मिक नेताओं ने इसे "ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण" बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया है।

Ayodhya Deepotsav

यूपी की सांस्कृतिक जीत (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

सीएम बोले-'यह गर्व और सांस्कृतिक शक्ति का पल'

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव के यूनेस्को सूची में शामिल होने पर खुशी व्यक्त करते हुए इसे भारत की सांस्कृतिक शक्ति और वैश्विक प्रभाव का प्रमाण बताया। सीएम योगी ने कहा कि दीपोत्सव वह उत्सव है जो अंधकार पर प्रकाश की विजय, अच्छाई की जीत और नए आरंभ के संदेश का प्रतीक है। यह सम्मान न केवल अयोध्या के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और भारत के लिए गौरव का विषय है।

उन्होंने अपने बयान में कहा, "यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक परंपरा की वैश्विक मान्यता है। अयोध्या प्रभु श्रीराम की पावन भूमि है और यहीं से दीपावली की पहली ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत हुई थी। ऐसे में इस आयोजन की अंतरराष्ट्रीय पहचान अयोध्या की आध्यात्मिक महत्ता को और भी प्रखर करती है।"

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर भी लिखा कि अयोध्या केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का जीता-जागता स्वरूप है। दीपोत्सव की वैश्विक मान्यता उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक गौरव में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ती है।

अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को भी मिलेगी नई उड़ान

लोगों का मानना है कि यूनेस्को की मान्यता मिलने के बाद अयोध्या दीपोत्सव का प्रभाव पर्यटन क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव लाएगा। हर वर्ष करोड़ों लोग दीपोत्सव देखने अयोध्या पहुंचते हैं। अब इस वैश्विक पहचान से विदेशी पर्यटकों की संख्या और बढ़ने की संभावना है। सांस्कृतिक धरोहर की इस नई उपलब्धि से स्थानीय अर्थव्यवस्था, कला, हस्तशिल्प और पर्यटन उद्योग को भी मजबूती मिलेगी।

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भारत की गौरवशाली परंपरा विश्व मंच पर स्थापित

अयोध्या दीपोत्सव का यूनेस्को सूची में शामिल होना केवल एक आयोजन की सफलता नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की वैश्विक पहचान का क्षण है। प्रकाश, प्रेम, शांति और आध्यात्मिकता के संदेश देने वाला यह उत्सव अब विश्व धरोहर बन चुका है। अयोध्या की पवित्र भूमि से निकलने वाली दीये की रोशनी आज दुनिया भर में भारत की संस्कृति को उजाला दे रही है।

Location : 
  • Ayodhya

Published : 
  • 11 December 2025, 7:24 PM IST