

शाह जमाल शाह मोहल्ले में चेहल्लुम का पर्व बड़ी सादगी, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया। इस अवसर पर मोहल्ले के घर-घर में नियाज़ फातिहा का आयोजन किया गया, जिसमें समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। चेहल्लुम का पर्व शहीद-ए-कर्बला की याद में मनाया जाता है। इस अवसर पर मोहल्ले में कई स्थानों पर हुसैनी लंगर का आयोजन भी किया गया, जिसमें समुदाय के लोगों ने एकजुटता और भाईचारे का परिचय दिया।
चेहल्लुम पर्व पर निकाली गई झांकी
Auraiya: मुस्लिम समाज ने शाह जमाल शाह मोहल्ले में चेहल्लुम का पर्व बड़ी सादगी, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया। इस अवसर पर मोहल्ले के घर-घर में नियाज़ फातिहा का आयोजन किया गया, जिसमें समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
चेहल्लुम का पर्व शहीद-ए-कर्बला की याद में मनाया जाता है, जो दसवीं मुहर्रम को इमाम हुसैन और कर्बला के अन्य शहीदों की शहादत के 40वें दिन के रूप में किया जाता है। इमाम हुसैन, हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम के नवासे थे, जिन्होंने यजीद की अन्यायपूर्ण और दमनकारी नीतियों के खिलाफ ऐतिहासिक जंग लड़ी थी। इस दिन को उनके बलिदान और साहस की याद में मनाया जाता है।
इस अवसर पर मोहल्ले में कई स्थानों पर हुसैनी लंगर का आयोजन भी किया गया, जिसमें समुदाय के लोगों ने एकजुटता और भाईचारे का परिचय दिया। लंगर में सभी धर्मों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिससे सामाजिक समरसता का संदेश प्रसारित हुआ।
कार्यक्रम में मुस्लिम समाज के प्रमुख लोग जैसे सोहेल, सलीम, राजा अयान, फैजान वारसी, अयान, दाऊद, अल्ताफ, मेराज, साहिल, शाहिद अख्तर, असद, रहीम राईन, फरदीन सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। इस आयोजन ने न केवल इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया, बल्कि समुदाय में एकता और शांति का संदेश भी दिया।
स्थानीय लोगों ने इस आयोजन को सादगी के साथ मनाने पर जोर दिया, ताकि शहीदों की याद को सम्मान के साथ जीवित रखा जा सके। यह पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए गहरे आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है।