

सीबीआई ने यह मामला 22 सितंबर 2022 को दर्ज किया था। आयकर विभाग के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त ने अपनी सरकारी सेवा के दौरान अवैध रूप से संपत्तियां अर्जित की थी। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
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नई दिल्ली: केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े भ्रष्टाचार मामले में आयकर विभाग के एक पूर्व उच्चाधिकारी की 7 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां अटैच कर दी हैं। यह मामला सरकारी सेवा के दौरान भ्रष्टाचार करने और अवैध संपत्ति बनाने से संबंधित है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सीबीआई की गाजियाबाद शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गाजियावाद की सीबीआई अदालत ने 2 जून को इस मामले में 14 संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच करने का आदेश जारी किया। इन संपत्तियों की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है और यह कार्रवाई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक मानी जा रही है।
मामला क्या है?
सीबीआई ने यह मामला 22 सितंबर 2022 को दर्ज किया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि आयकर विभाग के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त ने अपनी सरकारी सेवा के दौरान अवैध रूप से संपत्तियां अर्जित की थी। आरोप है कि आरोपी अधिकारी ने 1 जनवरी 2008 से 30 जून 2018 तक दिल्ली, मुरादाबाद, लखनऊ समेत अन्य स्थानों पर डिप्टी कमिश्नर, जॉइंट कमिश्नर और एडिशनल कमिश्नर के पदों पर रहते हुए भ्रष्ट तरीके से 7.5 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति बनाई।
नहीं दे पाए संतोषजनक जवाब
इस दौरान उन्होंने अपनी आमदनी से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित की। जिसका वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। सीबीआई ने आरोप लगाया कि यह संपत्ति भ्रष्टाचार और काले धन के जरिए बनाई गई थी। जो सरकारी सेवा के दौरान दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।
अधिकारी और उनके परिवार के नाम 14 अचल संपत्तियां
जांच के दौरान सीबीआई को पता चला कि आरोपी अधिकारी और उनके परिवार के नाम पर 14 अचल संपत्तियां हैं। ये संपत्तियां गाजियाबद, लखनऊ, हरदोई, बाराबंकी और गोवा जैसे कई स्थानों पर स्थित हैं। इन संपत्तियों की कुल कीमत करोड़ों में बताई जा रही है। जो अधिकारी की घोषित संपत्ति से कहीं ज्यादा है। सीबीआई ने कोर्ट से अस्थायी अटैचमेंट का आदेश लिया था, जिसके तहत आरोपी की संपत्तियों पर अस्थायी रूप से कब्जा कर लिया गया है। इस कार्रवाई के बाद अब सीबीआई और अन्य एजेंसियां इस मामले की और भी गहराई से जांच करेंगी। सीबीआई के अधिकारियों ने इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कड़ी कमिटमेंट के रूप में देखा है।