

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एसडीओ विवेक कुमार पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने और संवैधानिक पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा है। किसान नेताओं ने उनपर आरोप लगाया है।
SDO विवेक कुमार
Bijnor: बिजनौर जिले के थाना नहटौर क्षेत्र से एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि एसडीओ विवेक कुमार ने अपने संवैधानिक पद का दुरुपयोग करते हुए कुछ निर्दोष किसानों और फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराया, जिसके चलते चार लोगों को हिरासत में भी ले लिया गया।
सोशल मीडिया पर वायरल हुईं कुछ तस्वीरें इस केस की असलियत खुद बयां कर रही हैं। पहली तस्वीर में एसडीओ विवेक कुमार थाना से बाहर निकलते नजर आ रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर में वह मीडिया को बयान देते दिखाई दे रहे हैं। तीसरी तस्वीर में उनके सिर और हाथ पर पट्टियां बंधी हैं, जैसे उन्हें गंभीर चोटें आई हों। लेकिन किसानों का दावा है कि यह सब "ड्रामा" है और तस्वीरें घटना के बाद की नहीं बल्कि “स्क्रिप्टेड” हैं।
बताया जा रहा है कि एसडीओ विवेक कुमार बिजली विभाग की टीम के साथ गांव नवादा चौहान पहुंचे, जहां एक गत्ता फैक्ट्री और कुछ किसानों के कुओं की बिजली काट दी गई। इसके पीछे कारण बताया गया कि बिना परमिशन बिजली का उपयोग हो रहा था। इसके बाद कुछ किसान और गत्ता फैक्ट्री के कुछ लोग विद्युत विभाग के दफ्तर नहटोर पहुंचे और उन्होंने एसडीओ विवेक कुमार से वापस बिजली जोड़ने के लिए कहा। इसपर एसडीओ ने कहा कि हमने बिजली नहीं काटी है।
धरने पर बैठे किसान
किसानों ने कहा कि अगर बिजली आपने नहीं काटी तो चलिए हम दिखाते हैं कि तार कैसे कटे हैं। किसानों का आरोप है कि इसके बाद एसडीओ ने स्थिति को घुमाकर थाना नहटौर पुलिस से मिलकर एकतरफा मुकदमा दर्ज करा दिया। वहीं पुलिस ने भी बिना जांच पड़ताल किए चार लोगों को हिरासत में ले लिया।
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वहीं इस मामले में सिर्फ एसडीओ ही नहीं, बल्कि नहटौर सीएचसी के डॉक्टर भी शक के घेरे में हैं। किसानों का आरोप है कि बिना किसी स्पष्ट चोट के डॉक्टर ने विवेक कुमार को रेफर कर दिया और उनके सिर पर ऐसी पट्टी बांधी गई जैसे बहुत गंभीर चोट आई हो। जबकि घटनास्थल से आई तस्वीरें कुछ और ही कहानी कहती हैं।
किसान नेता दिगंबर सिंह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर पूरे मामले को फर्जी बताते हुए प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि अगर निर्दोषों को न्याय नहीं मिला, तो वह आंदोलन की राह पर उतरेंगे। कुछ किसान तो थाना नहटौर के अंदर ही धरने पर बैठ गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
सवाल यह उठ रहा है कि बिना किसी निष्पक्ष जांच के सिर्फ एक सरकारी अधिकारी के कहने पर मुकदमा कैसे दर्ज हो गया? क्या नहटौर पुलिस ने अपने कर्तव्य का पालन किया या किसी दबाव में आकर कार्रवाई की?