

YouTube 13 अगस्त से अमेरिका में एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) आधारित सिस्टम लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य नाबालिग यूज़र्स की पहचान कर उन्हें सुरक्षित ऑनलाइन अनुभव देना है। यह नया सिस्टम यूज़र की गतिविधियों के आधार पर उनकी उम्र का आकलन करेगा।
यूट्यूब (Img: Google)
New Delhi: यूट्यूब, दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो प्लेटफ़ॉर्म, अब 18 साल से कम उम्र के यूज़र्स को पहचानने के लिए एक AI और मशीन लर्निंग आधारित नया सिस्टम शुरू करने जा रहा है। यह प्रणाली 13 अगस्त 2025 से अमेरिका में सबसे पहले लागू होगी और बाद में अन्य देशों में इसका विस्तार किया जाएगा।
इस सिस्टम का उद्देश्य नाबालिगों की ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा देना और उन्हें अनुचित कंटेंट या टारगेटेड विज्ञापनों से बचाना है। खास बात यह है कि अब यूट्यूब केवल जन्मतिथि पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि यूज़र की गतिविधियों का विश्लेषण करके उसकी उम्र का अनुमान लगाएगा।
अब गतिविधियों पर भी रखेगा नज़र
अब तक यूट्यूब का उम्र निर्धारण सिस्टम केवल यूज़र द्वारा अकाउंट बनाते समय दर्ज की गई जन्मतिथि पर आधारित था। लेकिन कई बार यूज़र्स गलत जन्मतिथि देकर प्लेटफॉर्म की उम्र सीमा को बाईपास कर लेते थे। इस समस्या को हल करने के लिए यूट्यूब का नया सिस्टम “एक्टिविटी सिग्नल्स” जैसे देखे गए वीडियो, खोज इतिहास और अकाउंट की सक्रियता अवधि का विश्लेषण करेगा।
चिह्नित नाबालिग अकाउंट्स पर लगेगी रोक
अगर सिस्टम को लगता है कि कोई यूज़र 18 वर्ष से कम उम्र का है, तो उस अकाउंट पर कई महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाए जाएंगे-
पर्सनलाइज्ड विज्ञापन बंद कर दिए जाएंगे।
बेडटाइम रिमाइंडर और स्क्रीन टाइम ट्रैकिंग जैसे डिजिटल वेलबीइंग टूल्स स्वचालित रूप से चालू हो जाएंगे।
कुछ संवेदनशील वीडियो कंटेंट तक पहुंच को सीमित कर दिया जाएगा।
इसका उद्देश्य किशोरों और बच्चों को हानिकारक या भ्रामक सामग्री से बचाना है, साथ ही उनके डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है।
गलत पहचान की स्थिति में उम्र का प्रमाण देना होगा
अगर किसी वयस्क यूज़र को गलती से नाबालिग के रूप में चिह्नित कर दिया जाता है, तो उसे प्रतिबंध हटाने के लिए उम्र का सत्यापन करना होगा। इसके लिए यूट्यूब तीन विकल्प दे रहा है-
1. सरकारी आईडी अपलोड करना
2. सेल्फी अपलोड कर चेहरा मिलाना
3. क्रेडिट कार्ड जानकारी देना
हालांकि, इन तरीकों से कुछ यूज़र्स को गोपनीयता को लेकर चिंता हो सकती है। यूट्यूब का कहना है कि यूज़र डेटा की सुरक्षा सर्वोपरि है और सभी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।
वैश्विक विस्तार से पहले होगा परीक्षण
यूट्यूब इस सिस्टम को पहले अमेरिका में लागू कर परीक्षण करेगा और उपयोगकर्ता प्रतिक्रिया के आधार पर आवश्यक सुधार करेगा। इसके बाद इसे दुनिया भर में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।