

AI तकनीक और विशेष रूप से ChatGPT जैसे टूल अब सिर्फ जानकारी का स्रोत नहीं, बल्कि निर्णय लेने और सोचने की प्रक्रिया में भी इंसानों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। अगर यह रुझान बढ़ता रहा, तो समाज की सोच, अभिव्यक्ति और स्वतंत्र निर्णय की क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या हम तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं या तकनीक धीरे-धीरे हमारी सोच को आकार दे रही है?
AI पर बढ़ती निर्भरता
New Delhi: 21वीं सदी के तीसरे दशक में तकनीकी क्रांति ने मानव जीवन के हर पहलू को छुआ है। खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उन्नति ने शिक्षा, व्यवसाय, संचार और यहां तक कि व्यक्तिगत सोचने और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। ChatGPT जैसे जेनरेटिव एआई टूल्स अब केवल प्रश्नों का उत्तर देने वाले सहायक नहीं रहे, बल्कि लोग इन्हें अपने विचारों को विकसित करने, फैसले लेने, भावनाओं को समझने और यहां तक कि लिखित अभिव्यक्ति के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
हाल के अध्ययनों और ऑनलाइन व्यवहार के विश्लेषण से पता चलता है कि बड़ी संख्या में छात्र, पेशेवर, लेखक, और यहां तक कि आम लोग भी ChatGPT का उपयोग न केवल जानकारी के लिए, बल्कि अपनी राय और दृष्टिकोण को स्पष्ट करने के लिए भी कर रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि ChatGPT उन्हें निर्णय लेने में मदद करता है, चाहे वह करियर से जुड़ा हो, रिलेशनशिप से या किसी सामाजिक मुद्दे पर राय बनाने से जुड़ा हो। उपयोगकर्ता इसे "second brain" या "thinking partner" के रूप में देखने लगे हैं।
AI पर बढ़ती निर्भरता
जहां पहले तकनीक लोगों को सोचने के लिए डेटा और टूल देती थी, अब वह सोचने की प्रक्रिया का हिस्सा बनती जा रही है। लोग विचार बनाने के लिए अब स्वयं चिंतन करने के बजाय, AI से मार्गदर्शन मांगते हैं।
• "मुझे इस विषय पर क्या सोचना चाहिए?"
• "इस निर्णय में कौन-सी दिशा सही होगी?"
• "मुझे अपने विचार कैसे व्यक्त करने चाहिए?"
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AI के माध्यम से निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्पीड और कुशलता आती है, इसमें कोई दो राय नहीं। परंतु सोचने की स्वायत्तता (autonomy) को यदि मशीन पर छोड़ा जाने लगे, तो यह व्यक्तिगत पहचान, नैतिक मूल्य और आलोचनात्मक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब इंसान विचारों को स्वयं उत्पन्न करने की बजाय किसी और चाहे वह AI ही क्यों न हो के माध्यम से प्राप्त करने लगे, तो उसका मानसिक विकास सीमित हो सकता है। यह शिक्षा, राजनीति, धर्म, सामाजिक मुद्दों और यहां तक कि व्यक्तिगत संबंधों की गहराई को भी प्रभावित कर सकता है।
लोगों को ChatGPT से बात करना आसान लगता है कोई जजमेंट नहीं, तुरंत उत्तर और जितना चाहे गहराई से पूछो। यह सहज संवाद और तेज़ प्रतिक्रियाएं इंसानों को आकर्षित करती हैं। साथ ही, व्यस्त जीवनशैली के चलते निर्णय लेना और सोचने की प्रक्रिया को सरल करना लोगों की प्राथमिकता बन गया है।
1. निर्णय लेने की क्षमताओं में गिरावट: अगर हर निर्णय के लिए हम AI की राय लेने लगें तो स्वतंत्र निर्णय क्षमता कमजोर हो सकती है।
2. सोच की समानता: AI से सलाह लेने की प्रवृत्ति से विविधता की बजाय विचारों में समानता बढ़ सकती है, जो लोकतांत्रिक समाज के लिए चुनौती हो सकती है।
3. रचनात्मकता और आत्म-चिंतन पर असर: जब AI हमारे लिए विचार गढ़ेगा, तो हमारी मौलिक सोच और आत्मचिंतन की प्रक्रिया धीमी पड़ सकती है।
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• AI को एक टूल के रूप में देखें, सोचने के विकल्प के रूप में नहीं।
• मौलिक विचारों की प्राथमिकता दें, ChatGPT को केवल सपोर्टिंग भूमिका में रखें।
• विवेक और आलोचनात्मक सोच को विकसित करने के लिए AI पर सीमित निर्भरता रखें।