

भारत सरकार ने मोबाइल यूजर्स को eSIM से जुड़ी एक नई साइबर धोखाधड़ी को लेकर चेतावनी जारी की है, जिसमें ठग बिना OTP या बैंक डिटेल्स डाले ही खातों से पैसे निकाल रहे हैं। हाल ही में इसी तरह 4 लाख रुपये की ठगी हुई।
ई-सिम फ्रॉड (Img: Internet)
New Delhi: डिजिटल युग में जहां तकनीक हमारी सुविधा को बढ़ा रही है, वहीं इसके साथ जुड़ी चुनौतियाँ भी तेजी से सामने आ रही हैं। हाल ही में भारत सरकार ने मोबाइल उपयोगकर्ताओं को eSIM से जुड़ी एक नई और खतरनाक साइबर धोखाधड़ी के बारे में आगाह किया है। इस घोटाले में धोखेबाज़ OTP या बैंक डिटेल्स डाले बिना ही पीड़ितों के खातों से बड़ी रकम उड़ा रहे हैं।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, साइबर अपराधी पहले उपयोगकर्ताओं को एक फर्जी कॉल करते हैं। इस कॉल में उन्हें eSIM एक्टिवेशन के लिए एक लिंक भेजा जाता है। जैसे ही उपयोगकर्ता उस लिंक पर क्लिक करता है, उसका भौतिक सिम अपने आप eSIM में बदल जाता है, जिससे फोन का सिग्नल गायब हो जाता है और असली सिम निष्क्रिय हो जाता है।
इसके बाद पीड़ित को कॉल और SMS आना बंद हो जाते हैं, जबकि बैंक से जुड़े सारे OTP और संदेश धोखेबाज़ के फोन पर पहुंचने लगते हैं। इसी के माध्यम से वे बिना किसी अतिरिक्त सत्यापन के बैंक लेनदेन कर लेते हैं और खाते से पैसे निकाल लेते हैं। हाल ही में इसी तरह की एक घटना में एक व्यक्ति के खाते से 4 लाख रुपये निकाल लिए गए।
ई-सिम धोखाधड़ी के मामले (Img: Internet)
इस खतरनाक साइबर घोटाले के बाद गृह मंत्रालय के तहत कार्यरत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। I4C की स्थापना जनवरी 2020 में साइबर अपराधों की रोकथाम के उद्देश्य से की गई थी।
डिजिटल लेन-देन की बढ़ती संख्या और स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की बढ़ती निर्भरता ने साइबर ठगों को नए मौके प्रदान किए हैं। यही वजह है कि सरकार ने इस नई तकनीक आधारित घोटाले को गंभीरता से लेते हुए जन-जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया है।
देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल पेमेंट, UPI लेन-देन और eSIM तकनीक के उपयोग ने साइबर अपराधियों को नई राह दिखाई है। इस प्रकार की धोखाधड़ी न केवल वित्तीय नुकसान पहुंचा सकती है, बल्कि आम नागरिकों के भरोसे को भी हिला सकती है।
सरकार की चेतावनी इस बात का साफ संकेत है कि हमें अब हर डिजिटल कदम सावधानी से और जानकारी के साथ उठाना होगा।