

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता और मायावती के भतीजे आकाश आनंद को देश भर में मिली Y+ Category की CRPF सिक्योरिटी को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। डाइनामाइट न्यूज़ ने सबसे पहले इस खबर को ब्रेक किया था। पढ़ें डाइनमाइट न्यूज की पूरी खबर
नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता और मायावती के भतीजे आकाश आनंद को देश भर में मिली Y+ Category की CRPF सिक्योरिटी को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। डाइनामाइट न्यूज़ ने सबसे पहले इस खबर को ब्रेक किया था। डाइनामाइट न्यूज़ ने आपको बताया था कि मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उच्चस्तरीय समीक्षा के बाद बड़ा फैसला लेते हुए आकाश की सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया।
डाइनामाइट न्यूज़ अब आपको बता रहा है कि आखिर आकाश आनंद की सुरक्षा वापस लेने का असली कारण है क्या? डाइनामाइट न्यूज़ आपको बतायेगा अंदर की पूरी सियासी कहानी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आकाश आनंद की सुरक्षा को ऐसे वक्त वापस लिया है, जब मायावती कल बुधवार को लखनऊ में बसपा की एक बड़ी बैठक करने वाली है। इस बैठक में बड़ी संख्या में बसपा के नेता शामिल होने वाले हैं। माना जा रहा है कि मायावती इस मौके पर अपने भतीजे आकाश आनंद की पार्टी में वापसी की औपचारिक घोषणा करेंगी। इसके साथ ही वे आकाश आनंद को पार्टी में वापस लिये जाने के फैसले की वजह भी बताएंगी।
इससे पहले मायावाती ने आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था और उसके बाद उनको पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाने की भी घोषणा की गई थी। लेकिन लगभग डेढ़ माह पहले मायावती ने एक चौकाने वाला फैसला लेते हुए आकाश आनंद को पहले राष्ट्रीय संयोजक के पद से हटाया और बाद में बसपा से ही निष्कासित कर दिया था। एक बार फिर बसपा में आकाश की एंट्री होने वाली है और इससे पहले ही सरकार ने उनकी सुरक्षा को वापस ले लिया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे नये सियासी समीकरण भी बनने लगे हैं और सभी दल दांव-पेंच भी खेलने लगे हैं। देश के सबसे बड़े राजनीतिक राज्य उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक पर हमेशा से हर दल की नजर रही है।
उत्तर प्रदेश में इसी दलित वोट बैंक के आधार बसपा 2007 में चुनाव जीती और 2012 तक मायावती यूपी की मुख्यमंत्री रहीं। लेकिन बसपा के इसी दलित वोट बैंक पर समाजवादी पार्टी और भाजपा सेंधमारी का हमेशा प्रयास करती रही। 2012 के बाद सपा सरकार बनी और उसके बाद के विधानसभा चुनाव में दलित भाजपा के पक्ष में आये। बसपा का दलित वोट बैंक उससे लगातार अलग होता गया। दलित लगातार भाजपा के साथ बने रहे और उसे दो विधानसभा चुनाव व आम चुनाव में बड़ी जीत मिली।
लेकिन समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले 2024 के चुनाव में बड़ा सियासी दांव खेला और बसपा से आये तमाम नेताओं को पार्टी में शामिल कराया। उनका दिल से भी स्वागत किया। सपा प्रमुख ने न केवल इनको सपा का सिपाही बनाया बल्कि दिल खोलकर उनको लोकसभा चुनाव में टिकट भी दिया। अखिलेश का फैसला रंग लाया और सपा न केवल दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब हुई बल्कि भाजपा के विजय रथ को रोकने में भी सफल रही। नतीजा ये हुआ कि 2024 के आम चुनाव के बाद सपा न केवल देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी बल्कि वह उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सीटें जीतने में भी सफल रही। ये सपा की यूपी में अब तक की सबसे बड़ी जीत रही।
आकाश आनंद की सुरक्षा को वापस लिये जाने के फैसले को भी कई पॉलीटिकल पंडित सियासी चश्मे से देख रहे हैं और इसके भी कुछ राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। इसके राजनीति मायने जो कुछ भी हों लेकिन ये साफ है कि केंद्र द्वारा सुरक्षा वापस लिये जाने का फैसला आकाश आनंद, मायावती और बसपा के पक्ष में तो हरगिज नहीं है।