एपीएमसी से बाहर उपज बेचने पर किसानों को लाभ: मोदी

पंजाब, हरियाणा तथा देश के अन्य हिस्सों में कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कृषि उपज विपणन समिति मंडी से बाहर अपनी फसल बेचने पर किसानों के लाभ हो रहा है और वे लाखों रूपये की आय अर्जित कर रहे हैं।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 27 September 2020, 1:23 PM IST
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नई दिल्ली: पंजाब, हरियाणा तथा देश के अन्य हिस्सों में कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि कृषि उपज विपणन समिति मंडी से बाहर अपनी फसल बेचने पर किसानों के लाभ हो रहा है और वे लाखों रूपये की आय अर्जित कर रहे हैं।

 मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना के इस कठिन समय में देश के कृषि क्षेत्र ने फिर दमख़म दिखाया है। देश का कृषि क्षेत्र, किसान, गाँव, आत्मनिर्भर भारत का आधार है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है और अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।

मोदी ने हरियाणा में सोनीपत के किसान कंवर चौहान का उल्लेख किया और कहा कि उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियाँ बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वह मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियां बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियां तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी कानून से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। चार साल पहले, उन्होंने, अपने गांव के साथी किसानों के साथ मिलकर एक किसान उत्पादक समूह की स्थापना की। आज, गांव के किसान स्वीट कोर्न और बेबी कोर्न की खेती करते हैं। उनके उत्पाद, आज, दिल्ली की आजादपुर मंडी, बड़ी दुकानों तथा होटलों में सीधे जा रहे हैं। आज, गाँव के किसान इनकी खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इसी गांव के 60 से अधिक किसान नेट हाउस और पॉली हाउस बनाकर टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, इसकी, अलग-अलग किस्मों का उत्पादन करके, हर साल प्रति एकड़ 10 से 12 लाख रूपये तक की कमाई कर रहें हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन किसानों के पास अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। फल-सब्जियों के लिए ही नहीं, अपने खेत में, वो जो पैदा कर रहें हैं - धान, गेहूं, सरसों, गन्ना जो उगा रहे हैं, उसको अपनी इच्छा के अनुसार, जहां ज्यादा दाम मिले, वहीं पर, बेचने की, अब, उनको आज़ादी मिल गई है।(वार्ता)

 

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