शरणार्थी शिविर में जीवन के सपने बुन रहे हैं ये हुनरमंद तिब्बती बुनकर, पढ़िये ये खास रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

सोनम सोमो 50 वर्षीय एक तिब्बती महिला बुनकर हैं। तीन दशक पहले अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में स्थित तिब्बती बस्ती में कालीन बनाने के एक केंद्र से जुड़कर उन्होंने अपने जीवन की नयी शुरुआत की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अरुणाचल प्रदेश के शरणार्थी शिविर में सपने बुन रहे हैं तिब्बती बुनकर
अरुणाचल प्रदेश के शरणार्थी शिविर में सपने बुन रहे हैं तिब्बती बुनकर


मियाव: सोनम सोमो 50 वर्षीय एक तिब्बती महिला बुनकर हैं। तीन दशक पहले अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में स्थित तिब्बती बस्ती में कालीन बनाने के एक केंद्र से जुड़कर उन्होंने अपने जीवन की नयी शुरुआत की।

आज सोमो और उनकी कई अन्य साथियों ने इस बस्ती को अपना घर बना लिया है, जहां वे अपने करघे पर सपने बुनती हैं।

चोफेलिंग तिब्बती शरणार्थी शिविर में स्थित यह कालीन केंद्र करीब 500 तिब्बती शरणार्थी परिवारों की रीढ़ है जिनके पूर्वज 1959 में चीनी आक्रमण के बाद अपने 14वें दलाई लामा के साथ तिब्बत छोड़कर आए थे।

कालीन केंद्र में पहली बार आने वाले किसी व्यक्ति के लिए संगीत की धुन के साथ काम करते यूनिट का माहौल देखने लायक होता है और ऐसा प्रतीत होता है मानो संगीत की धुन पर उनकी उंगलियां थिरकती हैं और वे बुनाई करती जाती हैं।

यह भी पढ़ें | Arunachal Pradesh: अरुणाचली अदरक समेत तीन उत्पादों को मिली जीआई पहचान

मियाव के बाहरी इलाके में शरणार्थियों द्वारा 1975 में स्थापित किए जाने के बाद से चोफेलिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी फर्श और दीवारों के लिए कालीन बिक्री का एक अनूठा केंद्र रहा है। मियाव अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले का उप मंडल मुख्यालय है।

यहां के निवासी उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले ऊनी कालीनों के उत्पादन के लिए जाने जाते हैं जिनका निर्यात भी किया जाता है। इस केंद्र में 30 कुशल महिला बुनकर हैं।

सोमो ने कहा, ‘‘मैं 1990 से इस शिल्प केंद्र में काम कर रही हूं और यह मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव रहा है। केंद्र ने सौ से अधिक तिब्बतियों को रोजगार प्रदान किया है।’’

कालीन-बुनाई चोफेलिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी की 14 गतिविधियों में से एक है, जो 2,000 एकड़ में फैली बस्ती के लगभग 2,000 शेयरधारकों द्वारा संचालित है। बस्ती में एक छोटा चाय बागान सहित बैंकिंग से लेकर खेती तक लगभग सब कुछ है जो यहां के समाज को आत्मनिर्भर बनाता है।

यह भी पढ़ें | अरुणाचल प्रदेश में ईस्टर्न नगा नेशनल ऑर्गनाइजेशन के सदस्य ने आत्मसमर्पण किया

यहां के समाज द्वारा उत्पन्न राजस्व का बड़ा हिस्सा कालीन इकाई से आता है। सहकारी समिति के सचिव तेनजिन रबजोर ने कहा कि समिति असम के तिनसुकिया शहर में एक होटल भी चलाती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार चांगलांग के उपायुक्त सनी के सिंह ने कहा, ‘‘हमने पुराने करघों को तीसरी पीढ़ी के 30 आधुनिक धातु के करघों से बदल दिया है जो काम करने के लिए लिहाज से उपयुक्त है।’’

जिला प्रशासन ने केंद्र में बुनकरों के मनोरंजन के लिए एक म्युजिक सिस्टम भी लगाया है जिस पर तिब्बती और लोकप्रिय गीत बजते हैं।

राजबोर ने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकार ने बस्ती के लोगों के लिए स्कूल, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क संपर्क एवं जन वितरण प्रणाली के तहत चावल के वितरण सहित पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।’’










संबंधित समाचार