

यदि आपकी बेटी 16 साल की हो चुकी है तो उन्हें ये चार बातें जरूर सिखाएं। जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट
नई दिल्लीः हिंदू धर्म में बेटी लक्ष्मी का स्वरूप होती है, जिसके होने से घर में रौनक होती है। आजकल बेटियां ही अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं। वहीं समय के साथ कई लोगों की बेटियों को लेकर सोच भी बदल गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, आज के समय में हर माता-पिता अपनी बेटी को पढ़ना चाहते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाना चाहते हैं। जिसके लिए वह अपनी सारी धन-दौलत खर्च कर देते हैं। लेकिन लड़कियों की सुरक्षा को लेकर हर मां-बाप चिंता में रहते हैं।
हर मां-बाप अपना पूरा जीवन बेटियों की परवरिश में लगा देते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि 16 साल की उम्र में बेटियों पर ज्यादा ध्यान देना होता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह उम्र युवावस्था में कदम रखने की होती है, जिसमें बेटी और बेटा अक्सर गलत फैसला कर लेते हैं।
यदि आपकी बेटी भी 16 साल की हो चुकी है तो उन्हें कुछ बातें जरूर सिखाएं, ताकि वह युवावस्था आराम से पार कर सकें और उनका भविष्य खुशहाल रहे। आइए फिर आपको बताते हैं कि कौन-सी बाते हैं, जो आपको अपनी बेटी को सिखानी चाहिए।
बेटियों को जरूर सिखाएं ये चार बातें
1. खुद की देखभालः 16 साल पहले माता-पिता अपनी बेटी की देखभाल खुद करते हैं, लेकिन अब यह करना उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। अपनी बेटियों को खुद की देखभाल करना सिखाएं, क्योंकि यह बहुत जरूरी है। क्योंकि जब तक वह यह सब करना नहीं सिखेगी, वह लाइफ में आगे नहीं बढ़ सकती है।
2. सोशल मीडिया की सच्चाईः युवावस्था पर सोशल मीडिया यूज करने का भूत सवार होता है, जिसके वह अपने मां-बाप से जिद्द करते हैं कि उन्हें स्मार्टफोन दिलाया जाएं। हालाकि कई लड़कियां सोशल मीडिया की सच्चाई से अनजान होती है। ऐसे में मां-बाप का फर्ज बनता है कि उन्हें सोशल मीडिया की बुराइयों से अवगत कराएं।
3. ना बोलना सिखाएंः हर लड़की ना बोलने की आदत होनी चाहिए, क्योंकि यही आगे बढ़ने से रोकती है और लोग इसका काफी फायदा उठाते हैं। जहां जरूरत है ना बोलने की वहां हिम्मत से ना बोलने की शिक्षा जरूर दें।
4. खुला संवादः यदि आप अपनी बेटी को बेहतरीन जिंदगी देना चाहते हैं और उन्हें खूब आगे बढ़ना चाहते हैं तो उन्हें बोलने की आजदी दें, खुलकर बात करने की आदत दें और बेटियों को भरोसा दिलाएं की वह आपसे खुलकर बात कर सकती है। जब बेटियां खुलकर बोलेंगी, तभी वह सही मार्गदर्शन पर चलेगी।