महाकुंभ भगदड़ के 17 घंटे बाद आया मृतकों का आंकड़ा; 30 श्रद्धालुओं की मौत, 90 घायल, बढ़ सकती है संख्या
महाकुंभ भगदड़ के 17 घंटे बाद आया मृतकों का आंकड़ा; 30 श्रद्धालुओं की मौत, 90 घायल, बढ़ सकती है संख्या। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िए पूरी रिपोर्ट
प्रयागराज: प्रयागराज महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या के अवसर पर मंगलवार रात करीब 2 बजे स्नान से पहले भीड़ बढ़ने की वजह से भगदड़ मच गई। भगदड़ मचने के 17 घंटे बाद मृतकों और घायलों का आंकड़ा जारी किया गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और DIG वैभव कृष्ण ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि मेले में मची भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है जबकि 90 लोग घायल हैं।
टूट गए थे बैरीगेट्स
वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉनफ्रेंस में बताया कि प्रातः एक बजे से दो बजे के मध्य भीड़ का दबाव बना और भीड़ की वजह से कुचलकर 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 90 घायल हो गए हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि संगम अखाड़ा क्षेत्र में बैरीगेट्स टूट गए थे, जिससे जो श्रृद्धालु ब्रह्म मुहूर्त का इंतजार कर रहे थे उनकी भीड़ में कुचल कर मौत हो गई।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़कर चले गए मेला अधिकारी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में भगदड़ को लेकर जब पत्रकारों ने सवाल करना शुरू किया तब मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और DIG वैभव कृष्ण उठकर चले गए।
लोगों ने सुनाई आप बीती
महाकुंभ में संगम तट पर स्नान के लिए चंदौली से आए अवधेश और बलिया से आई सविता ने हादसे की आप बीती सुनाई। उन्होंने कहा कि मेरे साथ पांच लोग थे। हम लोग संगम में स्नान के लिए जा रहे थे। भीड़ बहुत ज्यादा थी। अचानक बहुत तेज भीड़ में धक्का आने लगा। धक्का पीछे से आ रहा था। हम लोग खुद को संभालने में लगे हुए थे। अचानक से हम गिर गए और किसी तरह पूरी ताकत लगाकर उठे तो आस-पास कोई नहीं था। मेरे सारे दोस्त कहां गए दिखाई नहीं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें चिल्ला-चिल्ला के गुहार लगा रहा था। लेकिन इतना शोर था कि कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था। कुछ देर बाद पुलिस ने मुझे अस्पताल भेजा, पर जहां जा रहा हूं वहां कोई नहीं मिल रहा है।
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अखाड़ा परिषद ने स्नान न करने का किया था ऐलान
भगदड़ जैसी स्थिति के बाद निरंजनी अखाड़ा प्रमुख कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा था कि "भारी भीड़ को देखते हुए अखाड़ा परिषद और सभी आचार्यगण ने निर्णय लिया है कि हम आज 'स्नान' नहीं करेंगे। हालांकि, हालात सामान्य होने के बाद अखाड़ों ने तय किया कि वह अमृत स्नान में शामिल होंगे, जिसके बाद एक एक कर सभी अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। स्नान के लिए संगम जा रहे साधु-संतों पर हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई। मौनी अमावस्या के अवसर पर नागा साधु भी त्रिवेणी संगम की ओर जाते नज़र आए। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज रथ पर निकले। नागा साधुओं ने तलवार लहराईं और जयकारे लगाते हुए संगम घाट पहुंचे। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि महाराज ने भी संगम में डुबकी लगाई।