Janki Lal Bhand VIDEO: भीलवाड़ा के बहरूपिया कलाकर जानकीलाल भांड को पद्मश्री, जानिये उनके बारे में
भीलवाड़ा के बहरूपिया कलाकर जानकीलाल भांड को पद्म श्री पुरस्कार मिला है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा जनपद के बहरूपिया कलाकर जानकीलाल भांड को पद्मश्री पुरस्कार मिला है। उम्र के ढलान पर होने के बावजूद जानकीलाल होली, दीपावली व अन्य त्योहारों पर शहर में अपनी कला से लोगों का मनोरंजन करते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ टीम इस खास मौके पर जब उनके घर पहुंचा तो पद्मश्री सम्मान की खबर पर उनका दर्द छलक पड़ा।
विदेशों में मचाई थी धूम
जानकीलाल भांड साल 1986 में लंदन और न्यूयॉर्क तथा 1988 में जर्मन, रोम, बर्मिंघम और फिर लंदन गए थे। न्यूयॉर्क, दुबई, मेलबोर्न में भी उनकी कला को खूब सराहा गया। देश में उन्होंने फकीर व बंदर का रोल अदा किया था। लोग मंकी मैन के नाम से जानने लगे थे।
अब भी करते हैं लोगों का मनोरंजन
जानकी लाल विभिन्न प्रकार की वेशभूषा पहन लोगों का मनोरंजन करते हैं। वह भगवान भोलेनाथ, माता पार्वती, काबुली पठान, सहित विभिन्न स्वांग रचकर और उसके स्वरूप वेशभूषा पहनकर लोगों का मनोरंजन करते हैं।
जानकीलाल का छलका दर्द
पद्मश्री पुरस्कार पाने पर जानकीलाल भांड की दर्द भी छलक गया। उनकी पीड़ा है कि इस कला को सरकारी संरक्षण नहीं मिलने से अगली पीढ़ी इससे विमुख हो रही है। जानकीलाल ने यह भी कहा कि भांड कला को जीवंत रखते परिवार पालना अब दुश्वार हो गया है।
मात्र 5 हजार की आर्थिक सहायता
जानकीलाल ने कहा कि राज्य सरकार भी भांड कला को प्रोत्साहित नहीं कर रही है। हाल में राज्य सरकार ने प्रदेश के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित कलाकारों को पांच हजार रुपए की सहायता की घोषणा की थी।
डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में जानकीलाल के पुत्र लादूलाल बताते हैं कि इस कला को सरकार संरक्षण नहीं दे रही है। नई पीढ़ी अब पढ़ कर कुछ करना चाहती है। संकोचवश नई पीढ़ी यह काम भी नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के रूप धरने के लिए उसी के अनुरूप स्वांग धरते आकर्षक परिधान भी बनाने पड़ते हैं। इसमें काफी खर्चा आता है। उनके पिता को बहरूपिया के स्वांग में देख कर दाद तो खूब मिलती गई मगर दाद से पेट तो नहीं भर सकते हैं।