DN Exclusive: लावारिस की तरह 6 महीने से निलंबित होकर घूम रहे आईएएस अमरनाथ उपाध्याय की अनंत कथा
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और महराजगंज के निलंबित पूर्व जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय में कई समानताएं हैं। दोनों गऊ माता के चारे को चुराकर खाने के आरोपी हैं। अंतर बस इतना है कि एक जेल के अंदर है तो दूसरा जेल की सलाखों के पीछे जाने की तैयारी में है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस गऊ माता को अपना सब कुछ मान दिन-रात उसकी सेवा में लगे रहते हैं। जिस सीएम की विश्व प्रसिद्ध गोरखनाथ पीठ गऊ माता की सेवा के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। उसी सीएम के इलाके की गौशाला में भ्रष्टाचार की आग से अपनी हवस को शांत करने वाले 2010 बैच के प्रमोटेड आईएएस अमरनाथ उपाध्याय ने गायों का चारा तो बेचा ही, साथ ही गौशाला की बेशकीमती 328 एकड़ जमीनों को प्राइवेट आदमियों को गैरकानूनी तरीके से बांट डाला।
जब सीएम ने इस मामले की जांच गोरखपुर के मंडलायुक्त से करायी तो आरोप जांच में प्रमाणित हुए, फिर सीएम का चाबुक चला और 14 अक्टूबर 2019 को इसे सीएम योगी आदित्यनाथ ने निलंबित कर दिया।
इसके निलंबन का ऐलान राज्य के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने बाकायदे लोकभवन में एक प्रेस कांफ्रेस आयोजित कर किया और कहा कि दोषी अधिकारियों पर वित्तीय अनियमितता और आपराधिक गतिविधियों के लिए एफआईआर दर्ज करने का भी आदेश दे दिया गया है।
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इसके निलंबन को अब 6 महीने पूरे हो चुके हैं। तबसे लेकर आज तक यह लावारिस की तरह इधर से उधर भटक रहे हैं। राजस्व परिषद से संबंद्ध अमरनाथ हर दर पर माथा पटक कर गिड़गिड़ा रहे हैं कि कोई तो बचा ले लेकिन मारे सीएम के डर के किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही कि इस भ्रष्टाचारी की पैरवी सीएम से कर दे। इसे सबसे अधिक कोस रहे हैं वे छह अन्य अधिकारी जिनके कंधे पर बंदूक रखकर इसने अपने हर गैरकानूनी कामों को अंजाम दिया और भ्रष्टाचार की अनंत कथा भारत-नेपाल सीमा पर लिख डाली। ये छह अफसर अमरनाथ के बहकावे में आ गैरकानूनी कामों के चलते निलंबित हैं। ये इसे खूब कोस रहे हैं कि पाप किया अमरनाथ ने, मलाई खाई अमरनाथ ने और सजा भोग रहे हैं ये मातहत।
गोरखपुर के मंडलायुक्त की जांच के बाद शासन ने एक और जांच बिठायी। इस बार जिम्मा सौंपा गया प्रमुख सचिव स्तर के राज्य के वरिष्ठ आईएएस के. रविन्द्र नायक को। लखनऊ से चल महराजगंज जिले के मधवलिया गो-सदन में जब नायक पहुंचे तो अराजकता का चारों ओर फैला आलम देख अवाक रह गये कि कैसे अमरनाथ 25 सौ गायों के नाम पर चारा-पानी-दवा का सरकारी धन निकालकर लंबे समय तक डकारते रहे, जबकि हकीकत में मौके पर महज 8 सौ गायें ही थीं। इनकी भी जांच में अमरनाथ के पाप कांड पर मुहर लगी और नतीजा अमरनाथ 6 महीने से लावारिस की तरह अमरनाथ भटक रहे हैं।
सीएम का गुस्सा अमरनाथ पर किस कदर है कि वे इसे निलंबित करने के बाद भी अपने गुस्से का इजहार अफसरों की बैठकों में जमकर करते हैं। निलंबन के चंद दिनों बाद ही जिले के नोडल अफसरों के साथ पांच कालिदास मार्ग पर आय़ोजित बैठक में उन्होंने अमरनाथ का नाम लेकर इसकी खूब लानत-मलामत की। अभी पिछले महीने अफसरों के साथ हुई एक वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान भी उनका गुस्सा दिखा कि वे गऊ-माता के नाम पर ऐसे किसी भ्रष्टाचारी को किसी भी कीमत पर छोड़ने वाले नहीं हैं।
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अंदर की खबर ये भी है कि अमरनाथ ने अपने भ्रष्टाचार का डंका अकेले सिर्फ गऊ माता के चारा खाने और गौशाला की बेशकीमती जमीनों को कौड़ियों के मोल बांटने तक ही नहीं सीमित रखा।
पहली बार महराजगंज जिले में बतौर डीएम हुई तैनाती के बाद इसने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ डाले। हर तरह से खूब खेल किये इसने, इसी का नतीजा है कि देश की तमाम जांच एजेंसियां इसके पीछे एक साथ टूट पड़ी हैं और इसके काले-कारनामों को खंगाल रही हैं। इतना अब तय है कि रिटायरमेंट के बाद का भी इसका समय लखनऊ से लेकर दिल्ली तक जांच एजेंसियों के पीछे अपनी बेगुनाही साबित करने के चक्कर में ही कटेगा।