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शनि अमावस्या का पर्व विशेष रूप से पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन विशेष स्थानों पर दीपक जलाने, शनि देव की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन का संचार होता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: शनि अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म में बहुत विशेष महत्व रखता है। यह दिन खासकर शनिदेव के भक्तों के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। शनि अमावस्या का पर्व हर साल अंधेरे में दीपक जलाकर पितृ दोष से मुक्ति पाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। इस दिन विशेष रूप से पितृों की पूजा, दान-पुण्य और व्रत करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
शनि अमावस्या के महत्व
शनि अमावस्या के दिन विशेष रूप से शनि देवता की पूजा की जाती है। शनि देव को न्यायाधीश और कर्म के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह दिन शनि ग्रह के प्रभावों को शांत करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन विशेष उपायों को अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन ला सकता है।
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
पितृ दोष को दूर करने के लिए शनि अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपायों को अपनाने का महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितृों की कृपा प्राप्त होती है।
पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना: शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से विशेष लाभ होता है। पीपल का पेड़ शनि देवता का प्रिय होता है और वहां दीपक जलाने से पितृ दोष समाप्त होता है।
शिव मंदिर में दीपक लगाना: शनि अमावस्या पर शिव मंदिर में दीपक जलाने से भी पितृ दोष की समाप्ति होती है। यह उपाय शनि के प्रभाव को शांत करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
घर के आंगन में दीपक जलाना: घर के आंगन में दीपक जलाना भी शनि अमावस्या का एक महत्वपूर्ण उपाय है। यह न केवल पितृ दोष को दूर करता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास भी करता है।
नदियों या तालाबों में दीपक प्रवाहित करना: शनि अमावस्या के दिन नदियों या तालाबों में दीपक प्रवाहित करना भी शुभ माना जाता है। इससे पितृों की आत्मा को शांति मिलती है और शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।
विशेष पूजा विधि और व्रत
शनि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन उपवासी रहकर व्रत करना चाहिए और दिनभर का समय ध्यान, पूजा और मंत्र जाप में व्यतीत करना चाहिए। शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप विशेष रूप से लाभकारी है। इसके अलावा, इस दिन दान करना भी अत्यंत शुभ होता है। गरीबों को खाद्य सामग्री और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पितृों की संतुष्टि होती है।