कर्मचारी को प्रभावी राहत देने के मामले में पढ़ें सुप्रीम कोर्ट का ये बड़ा फैसला, जानिये कितना जरूरी है स्थायी पता
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी कर्मचारी को प्रभावी राहत तभी दी जा सकती है जब याचिका में कामगार का स्थायी पता दिया गया हो। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसी कर्मचारी को प्रभावी राहत तभी दी जा सकती है जब याचिका में कामगार का स्थायी पता दिया गया हो।
न्यायालय ने रेखांकित किया कि यदि कोई पक्ष राहत के लिए किसी प्राधिकरण से संपर्क करता है, तो सबसे पहले उसका पूरा पता उपलब्ध होना आवश्यक है। अदालत ने कहा कि सभी लंबित मामलों और भविष्य में दायर किए जाने वाले मामलों में, पक्षकारों को अपना स्थायी पता प्रस्तुत करना होगा।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति ए. एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने एक कर्मचारी की बहाली से संबंधित मामले में बंबई उच्च न्यायालय के जून, 2010 के आदेश के खिलाफ एक कंपनी द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुनाया।
पीठ ने कहा कि श्रम अदालत के अक्टूबर 2005 के आदेश से पता चलता है कि कर्मचारी का पता किसी यूनियन का था और उसने अपना पता नहीं दिया था।
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श्रम अदालत ने अपने आदेश में कर्मचारी को आठ दिसंबर, 1997 से सेवा की निरंतरता के साथ पूर्ण वेतन के साथ बहाल करने का निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा, ‘‘यह एक ऐसा मामला है जिसमें काम करने वाले के स्थायी पते का उल्लेख नहीं किया गया है। दिया गया पता यूनियन का है। दिए गए पते पर सपंर्क के सभी प्रयास विफल रहे।’’