Pithoragarh News: पिथौरागढ़ में वनाग्नि रोकथाम को लेकर अहम बैठक, इन मुद्दों पर हुई बातचीत

डीएन ब्यूरो

पिथौरागढ़ में वनाग्नि रोकथाम को लेकर अहम बैठक की गई। इस बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत की गई। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जंगलों को बचाने की एक मुहिम
जंगलों को बचाने की एक मुहिम


पिथौरागढ़: मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय सभागार में आज वनाग्नि रोकथाम को लेकर एक महत्वपूर्ण जिला स्तरीय बैठक आयोजित की गई। बैठक में वनाग्नि के कारणों, दुष्प्रभावों एवं इसके समाधान पर विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में राज्यमंत्री श्री गणेश भंडारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही, प्रभागीय वनाधिकारी पिथौरागढ़ वन प्रभाग श्री आशुतोष सिंह, सरपंच संगठन के अध्यक्ष श्री देवेंद्र पांडे, वन क्षेत्राधिकारी, वन बीट अधिकारी, विभिन्न ग्राम सरपंचों एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने इसमें सहभागिता की।

बैठक में उठाए गए मुख्य बिंदु:

प्राकृतिक एवं मानवजनित कारणों की समीक्षा। घास के लालच में कुछ लोग जानबूझकर आग लगाते हैं। बीड़ी, सिगरेट, माचिस आदि के असावधानीपूर्वक प्रयोग से आग फैलती है। जंगलों के पास रहने वाले घुमंतू लोग एवं पिकनिक मनाने वाले पर्यटक भी आग लगने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

वनाग्नि के दुष्प्रभाव:

जैव विविधता और पर्यावरण को गंभीर क्षति।

यह भी पढ़ें | Crime in Uttarakhand: बाघ की 11 फीट लंबी खाल और 15 किलोग्राम हड्डियां के साथ 4 गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

वन्यजीवों एवं मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव।

जलवायु असंतुलन और मौसम परिवर्तन को बढ़ावा।

 रोकथाम एवं नियंत्रण:

वनाग्नि रोकथाम में जनभागीदारी को आवश्यक बताया गया।

ग्रामीणों और वन विभाग के बीच समन्वय को मजबूत करने पर जोर।

यह भी पढ़ें | देहरादून: रतनेश्वर जन कल्याण समिति ने सुझाये उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन के उपाय

जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्णय।

वन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी गई।

सरकारी अपील:

राज्यमंत्री श्री गणेश भंडारी ने जनता से अपील की कि वे वनाग्नि रोकथाम के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार इस दिशा में हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। बैठक में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने वनाग्नि रोकथाम हेतु एकजुट होकर कार्य करने का संकल्प लिया। बैठक का संचालन अभिलाषा समिति पिथौरागढ़ के निदेशक डॉ. किशोर कुमार पंत द्वारा किया गया। उन्होंने हिमालयी राज्यों में वनाग्नि और जैव विविधता संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला।










संबंधित समाचार