Diwali: आतिशबाजी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का नहीं किया पालन तो त्यौहार होगा खट्टा
दिवाली पर आतिशबाजी तो ठीक है लेकिन इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय सुनाया है इस पर गौर करना सभी के लिये महत्वपूर्ण है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार दिवाली की रात 8 बजे से 10 बजे तक अातिशबाजी कर सकते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें और किन बातों का रखना पड़ेगा ध्यान
महराजगंज: दिवाली पर आतिशबाजी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तो पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी पर रोक लगा दी थी। लेकिन इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखा विक्रेताओं को राहत देते हुए इसकी बिक्री पर हटी रोक को हटा दिया है। यहीं नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आतिशबाजी को लेकर कई निर्णय भी लिये हैं जिसका सभी को पालन करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने पटाखे जलाने की समय सीमा को निश्चित किया है जिससे कि वातावरण भी प्रदूषित नहीं होगा और आतिशबाजी के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं खासतौर पर आग लगने जेसी घटनाओं से भी दो चार नहीं होना पड़ेगा।
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सुप्रीम कोर्ट के दिवाली को लेकर बनाये गये नियम और इन निर्णयों के क्रियान्वयन की जानकारी के लिये लोगों में जागरुकता भी जरूरी है। इसी कड़ी में डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने की इसकी पड़ताल और अधिवक्ताओं से जाना दिवाली पर आतिशबाजी को लेकर बनाये गये सर्वोच्च न्यायालय के नियम और निर्णय के बारे में :
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क्या कहते हैं अधिवक्ता
दिवाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की जानकारी देते हुये अधिवक्ता आलोक रंजन ने डाइनामाइट न्यूज़ से विशेष बातचीत में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे फोड़ने पर अपना आदेश जारी करते हुए इसकी समय सीमा रात्रि 08 बजे से रात्रि 10 बजे निर्धारित की है। इसका पालन न करने वाले दोषी होंगे। रात्रि 8 से 10 बजे के बाद जो भी आतिशबाजी करेगा उसके खिलाफ संबंधित थाने की पुलिस कार्रवाई करेगी। दिवाली की रात को विशेषतौर पर थाना क्षेत्र के प्रभारी अपनी पुलिस टीम के साथ पेट्रोलिंग कर यह देखेंगे कि नियमों का कितना पालन किया जा रहा है। इसमें अगर पुलिस प्रशासन की तरफ से भी अगर कोई लापरवाही पाई गई तो खुद पुलिस पर भी कार्रवाई के आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने जारी किये हैं।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लेकर अधिवक्ता राजेश कुमार ने डाइनामाइट न्यूज़ से विशेष बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय सभी पर प्रभावी तरीके से लागू होंगे। जो भी नियम का उल्लंघन करते हुये पाया जायेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी। वैसे भी यह पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही असरदार है। दिवाली पर आतिशबाजी के लिये 2 घंटे ठीक है, इस दौरान दिवाली की मस्ती भी हो जायेगी और पर्यावरण को भी ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचेगा। यह तो लोगों का खुद दायित्व बनता है कि वे दीपों के इस उत्सव दिवाली पर आतिशबाजी की जगह अगर दीये जलाकर चारों तरफ उजाला करे तो इससे जागरुकता फैलेगी और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से भी बचाव होगा। बावजूद अगर कोई नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो पुलिस पुलिस उस व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकती है।
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दिवाली पर आतिशबाजी को लेकर क्या है आमजन की राय
दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भी आम जनमानस ने भी सराहा है लेकिन उनका यह भी कहना था कि अभियान चला कर प्रदूषण को रोकने की जरूरत है। प्रदूषण का एक मात्र कारण पटाखे फोड़ने और आतिशबाजी से होने वाले पर्यावरण को नुकसान ही नहीं है बल्कि दिवाली पर आतिशबाजी के अलावा दूसरे कारण भी प्रदूषण के लिये जिम्मेदार है।
इसमें मुख्य तौर पर कूड़े को जलाना, खेत में फसल के अवशेष जैसे पराली और अन्य फसलों के अवशेष को जलाना और पॉलीथिन को जलाना। इन सब से वातारण प्रदूषित तो होता ही है साथ ही इससे कई खतरे पैदा होते हैं। इसलिये प्रशासन को जागरुकता फैलाकर प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में लोगों को बताना होगा।
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