नैनीताल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: निजी संपत्ति पर अतिक्रमण को लेकर IPS अधिकारी अपील की खारिज, कड़ी टिप्पणी भी की

उत्तराखंड के नैनीताल हाई कोर्ट ने भूमि विवाद से जुड़े एक अहम सिविल मामले में एक बड़ा फैसला लिया और आईपीएस अधिकारी की अपील खारिज की। पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 12 April 2025, 10:25 AM IST
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नैनीतालः नैनीताल हाई कोर्ट ने भूमि विवाद से जुड़े एक अहम सिविल मामले में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी — कमांडेंट, 40वीं बटालियन पीएसी हरिद्वार के विरुद्ध सख्त टिप्पणी करते हुए उनकी अपील को खारिज कर दिया। न्यायालय ने साफ शब्दों में कहा कि एक उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी होने के नाते नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना उनका नैतिक और कानूनी दायित्व है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की एकलपीठ ने नौ अप्रैल को पारित निर्णय में स्पष्ट किया कि अपनी संपत्ति की चारदीवारी बनाना और उसकी सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, जिसे नकारा नहीं जा सकता और न ही उसमें कटौती की जा सकती है।

ये था मामला
यह विवाद हरिद्वार में स्थित भूमि के एक टुकड़े को लेकर है, जिसे 1961 में बीएचईएल के लिए यूपी सरकार द्वारा अधिग्रहित किया गया था। बाद में इस जमीन को सिंचाई विभाग को सौंप दिया गया और 1986 में इसे टिहरी परियोजना के अधिशासी अभियंता को हस्तांतरित कर दिया गया।

वर्ष 2013 में अधिशासी अभियंता ने इस भूमि के दो भूखंड निजी व्यक्तियों — रिंकू दास और काम दास — को सौंप दिए, जिन्होंने इसे बाद में सीता राम और विजय पाल को बेच दिया। सीता राम ने संपत्ति पर अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 2020 में फैसला उनके पक्ष में आया, जिसमें उन्हें संपत्ति पर चारदीवारी निर्माण की अनुमति दी गई।

हालांकि, बाद में PAC कमांडेंट द्वारा इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सरकारी अधिकारी का कर्तव्य है कि वह न केवल कानून का पालन करे, बल्कि प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा भी करे। सरकारी पद का दुरुपयोग कर किसी की संपत्ति पर अनाधिकृत हस्तक्षेप करना किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।