मुंबई डेवलपर के लिए नहीं है, एसआरए का मकसद जन कल्याण है

डीएन ब्यूरो

बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि मुंबई शहर डेवलपर के लिए नहीं है और झुग्गी पुनर्वास अधिनियम (एसआरए) का मकसद जन कल्याण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है, ना कि यह डेवलपर के लिए है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

बंबई उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)
बंबई उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)


मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि मुंबई शहर डेवलपर के लिए नहीं है और झुग्गी पुनर्वास अधिनियम (एसआरए) का मकसद जन कल्याण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए है, ना कि यह डेवलपर के लिए है।

इसी के साथ न्यायालय ने दो डेवलपर को एक उपनगरीय एसआरए परियोजना के लिए 11 करोड़ रुपये का ‘ट्रांजिट एरियर’ का भुगतान करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने यह टिप्पणी सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसे श्री साई पवन एसआरए सीएचएस लिमिटेड की ओर से दायर किया गया था।

याचिका में दावा किया गया है कि उनकी सोसायटी के पुनर्विकास के लिए नियुक्त किये गये दो डेवलपर ने उन्हें वर्ष 2019 से ‘ट्रांजिट किराया’ का भुगतान नहीं किया है।

उपनगरीय मुंबई के जोगेश्वरी में स्लम पुनर्वास परियोजना के सह-डेवलपर के रूप में एफकॉन्स डेवलपर्स लिमिटेड और अमेया हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड को नियुक्त किया गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, परियोजना में फ्लैट पाने के पात्र 300 से अधिक लोगों को वर्ष 2019 से कोई ‘ट्रांजिट किराया’ नहीं मिल रहा है। इन 300 लोगों में से 17 को ‘ट्रांजिट आवास’ में रखा गया था, इसलिए उन्हें ट्रांजिट किराया नहीं मिल रहा था, लेकिन ये आवास भी जर्जर अवस्था में थे।










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