Monkeypox: भारत में मिला पहला Mpox का केस, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

भारत में सोमवार को पहले मंकीपॉक्स पॉजिटिव मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 September 2024, 7:48 PM IST
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नई दिल्ली: भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के पहले मरीज (Patient ) की पुष्टि (Confirmed) हुई हो गई है। इस वायरस (Virus) से संक्रमित पुरुष ने हाल ही में एमपॉक्स से संक्रमित देश की यात्रा की थी। केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ( Union Health Ministry) के अनुसार संक्रमित व्यक्ति की हालत फिलहाल स्थिर है। उसमें अभी तक ज्यादा कोई वायरस के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते दिन 8 सितंबर को बताया था कि एक युवक में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला पाया गया है। 

भारत में मिली मंकीपॉक्स का केस

बकौल स्वास्थ्य मंत्रालय घबराने की बात नहीं
मामले को मौजूदा प्रोटोकॉल के मुताबिक संभाला जा रहा है और इंडिया के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने बताया कि इसमें घबराने की बात नहीं है. मंत्रालय ने बताया था कि मरीज का कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा रहा है, ताकि संक्रमण के किसी भी संभावित प्रसार को रोका जा सके.

यह हैं एमपॉक्स के लक्षण
एमपॉक्स के कुछ सामान्य लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, सूजन ग्रंथियां, थकान, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, सिरदर्द और श्वसन संबंधी लक्षण (जैसे गले में खराश, नाक बंद होना, या खांसी) शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से इन लक्षणों को नजरअंदाज न करने और संदेह होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलने की सलाह दी है।

वायरल बीमारी एमपॉक्स
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है। इसमें बुखार के साथ शरीर पर दाने निकलने लगते हैं। इसके संक्रमण के बाद लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है या उनका आकार बढ़ जाता है। लिम्फ नोड शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली का हिस्सा हैं। साल्वे ने कहा कि यह अपने-आप ठीक होने वाली बीमारी है और मरीज चार सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं। 

WHO ने घोषित की हेल्थ इमरजेंसी
पिछले महीने, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को "अंतर्राष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल" घोषित किया था. भारत में, विशेषज्ञों ने मंकीपॉक्स संक्रमण के जोखिम का आकलन किया है. उन्हें लगता है कि देश में वायरस के कुछ इंपोर्टेड मामलों की संभावना हो सकती है, लेकिन बड़े स्तर पर इस डिजीज के फैलने का खतरा कम है।