

मनमोहन सिंह को उनके कई सरहानीय कामों के लिए याद किया जाएगा लेकिन उनका एक शायराना रूप भी था, जो अक्सर संसद में देखने को मिलता था। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िए पूरी खबर
नई दिल्ली: देश ने अपने एक महान नेता, अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को खो दिया है। मनमोहन सिंह को उनके कई सराहनीय कामों के लिए याद किया जाएगा, लेकिन उनका एक शायराना रूप भी था, जो अक्सर संसद में देखने को मिलता था।
डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, वह एक बार संसद में दिवंगत सुषमा स्वराज के लिए शायरी करते नज़र आए थे। उन्होंने कहा था, ''माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक़ देख मेरा इंतज़ार देख''
1991 के बजट में की थी कविता
साल 1991 में वित्त मंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह शब्दों की दृष्टि से सबसे लंबा बजट भाषण (18,650 शब्द) दिया था, जिसमें उन्होंने प्रसिद्ध उर्दू कवि अल्लामा इकबाल की कविता बोलते भी नज़र आए थे। उन्होंने संसद में कहा, "यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहां से, अब तक मगर है बाकी नाम-ओ-निशां हमारा, कुछ बात है के हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-जमां हमारा"
जिसका मतलब है, ग्रीक, मिस्र और रोमन सभी गायब हो गए हैं, लेकिन हम अभी भी यहां हैं। कुछ खास बात होगी कि पूरी दुनिया हमारे खिलाफ होने के बावजूद हम अभी भी मौजूद हैं। उन्होंने अपने भाषण में विक्टर ह्यूगो का प्रसिद्ध कोट भी शामिल किया, "पृथ्वी पर कोई भी शक्ति उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ गया है।"
1992 के बजट सेशन में भी की शायरी
इसके बाद अगले साल 1992 में भी वित्त मंत्री एक और उर्दू शायर मुजफ्फर रज्मी को कोट करने से नहीं कतराए। "कुछ ऐसा भी मंज़र है तारीख़ की नज़रों में, लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई।"
इसका मतलब है- इतिहास में ऐसा भी हुआ है; लम्हों में की गई गलतियां सदियों तक मुसीबतें पैदा करती हैं।
92 वर्ष की उम्र में हुआ निधन
बता दें कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर, गुरुवार देर रात को 92 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। AIIMS ने खुद उनके निधन की पुष्टि करते हुए बताया कि डॉ. सिंह ने रात 9 बजकर 51 मिनट पर दुनिया को अलविदा कह दिया।