Manipur Violence: मणिपुर हिंसा रोकने के लिये खरगे ने पीएम मोदी से की ये बड़ी सियासी अपील, जानिये क्या कहा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर में हिंसा के मामले को लेकर सोमवार को कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मणिपुर की बात’ सुनने का इंतजार कर रहा है और सबसे पहले उन्हें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को उनके पद से बर्खास्त करना चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर में हिंसा के मामले को लेकर सोमवार को कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मणिपुर की बात’ सुनने का इंतजार कर रहा है और सबसे पहले उन्हें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को उनके पद से बर्खास्त करना चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से यह आग्रह भी किया कि मणिपुर में सभी पक्षों से बातचीत करके साझा राजनीतिक समाधान निकाला जाए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘ऐसी ख़बर है कि आख़िरकार मणिपुर पर गृहमंत्री (अमित शाह) ने प्रधानमंत्री मोदी जी से बात की है। पिछले 55 दिनों से मोदी जी ने मणिपुर पर एक शब्द नहीं कहा। पूरा देश उनकी 'मणिपुर की बात' सुनने का इंतज़ार कर रहा है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘अगर मोदी जी सही में मणिपुर के बारे में कुछ भी सोचते हैं तो सबसे पहले अपने मुख्यमंत्री को बर्ख़ास्त कीजिये। उग्रवादी संगठनों व असामाजिक तत्वों के पास से हथियार ज़ब्त करें। सभी पक्षों से बातचीत शुरू करें और साझा राजनीतिक रास्ता निकाला जाए। सुरक्षा बलों की मदद से नाकेबंदी ख़त्म करें।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री मोदी से यह आग्रह भी किया, ‘‘राष्ट्रीय राजमार्गों को खोलकर और सुरक्षित कर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें। प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए। घोषित राहत पैकेज अपर्याप्त है।’’
खरगे ने कहा, ‘‘भाजपा और मोदी सरकार का कोई भी दुष्प्रचार, मणिपुर हिंसा में उनकी घोर विफलताओं पर पर्दा नहीं डाल सकता।’’
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मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।