Maharashtra: मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामलों को हटाएगी शिंदे सरकार

डीएन ब्यूरो

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जालना जिले में मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की घोषणा की और आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे


मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने  जालना जिले में मराठा आरक्षण समर्थक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की घोषणा की और आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त करने का आग्रह किया।

उन्होंने सितंबर के पहले सप्ताह में राज्य के जालना जिले में आरक्षण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज में शामिल तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने की भी घोषणा की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने का फैसला किया है। अधिकारियों को भी आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने मराठा आरक्षण प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज में शामिल तीन पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने का फैसला किया है।’’

उधर, देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक पुणे के भीमाशंकर मंदिर में मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार मराठा समुदाय के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को साबित कर उन्हें आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘मराठा समुदाय को आरक्षण देने का हमारा स्पष्ट रुख है। जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे (2014 और 2019 के बीच), हमने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया था।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह साबित करना हमारी प्राथमिकता है कि मराठा समुदाय सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ा है। हम इसे पहली प्राथमिकता दे रहे हैं और समर्पित समितियां इस पर काम कर रही हैं। सरकार को समय दिया जाना चाहिए।’’

शिंदे ने कहा कि उन्होंने पिछले कई दिनों से जालना जिले में भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल को आश्वासन दिया है कि महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह से मराठा समुदाय के साथ है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई भी फैसला लेकर किसी (कमजोर) को धोखा नहीं देना चाहते। हम जो फैसला लेते हैं उसे कानूनी कसौटी पर खरा उतरना चाहिए। सरकार का रुख है कि मराठा समुदाय को दिया जाने वाला आरक्षण विश्वसनीय होना चाहिए।’’










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